छठ पूजा: खरना संग 36 घंटे की व्रत प्रक्रिया शुरू
सतभूषण गोयल टोहाना छठ पूजा का पर्व बुधवार 10 नवंबर को बड़ी ही श्रद्धा व धूमधाम के साथ म
सतभूषण गोयल, टोहाना :
छठ पूजा का पर्व बुधवार 10 नवंबर को बड़ी ही श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन इस पर्व को मनाने को लेकर रेलवे रोड पर फतेहाबाद डिस्ट्रीब्यूट्री पर बने घाट की हालत खस्ता होने व उसमें पानी न होने के कारण श्रद्धालुओं में निराशा है। फिर भी जैसे-तैसे इन परिवारों द्वारा साफ-सफाई उपरांत इस पर्व को श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा।
छठ मइया का पर्व मनाने के लिए श्रद्धालु घाट में उतरकर जहां छठ मइया की पूजा अर्चना करते है वहीं जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना भी इसी पर्व की मुख्य प्रक्रिया है। छठ पर्व को लेकर जहां मंगलवार को महिलाओं ने बाजारों में खरीददारी की। वहीं पूरा दिन घरों में रसोई की साफ-सफाई के बाद गुड़ की खीर व रोटी का प्रसाद तैयार किया। जबकि सूर्यास्त के बाद उसे ग्रहण कर 36 घंटे का व्रत शुरू किया।
व्रती महिलाएं व पुरुष 10 नवंबर को पूरा दिन बिना अन्न-जल के व्रत जारी रखते हुए सायं को पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। वहीं पूरी रात व्रत रखकर अगले दिन 11 नवंबर को सुबह उगते हुए सूर्य की आराधना के बाद व्रती सूर्य को अर्घ्य देंगे। उसके बाद व्रत खोला जाता है। एमयूएच जैन कालेज के प्राचार्य डा. परशु राम ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ का दूसरा दिन है। आज के दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। वहीं, कल यानी तीसरे दिन 10 नवंबर को अस्तागामी सूर्य की पूजा और चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने साथ ही यह पर्व संपन्न हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठ व्रती श्रद्धालु नर-नारियों ने अंत:करण की शुद्धि के लिए पहले दिन नहाय खाय किया। जबकि मंगलवार को खरना किया गया। जिसमें प्रसाद के लिए गुड़ की खीर बनती है, जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस व्रत में नमक और चीनी का प्रयोग वर्जित होता है। वहीं व्रती जब तक चांद नजर ना आए तब तक पानी पीते हैं, इसके बाद से उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।