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छोटी शिकायतों पर वाहवाही, गंभीर शिकायतें डिस्पोज ऑफ

प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद: प्रदेश सरकार सीएम ¨वडो की स्थापना को अपनी अहम उपलब्धि मानती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 03:01 AM (IST)
छोटी शिकायतों पर वाहवाही, गंभीर शिकायतें डिस्पोज ऑफ
छोटी शिकायतों पर वाहवाही, गंभीर शिकायतें डिस्पोज ऑफ

प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद:

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प्रदेश सरकार सीएम ¨वडो की स्थापना को अपनी अहम उपलब्धि मानती है। दावा किया जाता है कि सीएम ¨वडो पर आनी वाली हर शिकायत अहम मानी जाती है।

सरकार ने शिकायतों को गंभीरता से न लेने पर कुछ अफसरों को निलंबित किया तो जनता की आस्था और बढ़ गई। मगर अब यही आस्था निराशा में भी तब्दील हो रही है। खासकर, जब से निगरानी समिति के पदाधिकारियों को शिकायत डिस्पोज ऑफ करने की शक्ति मिली है। इन दिनों 70 फीसद फरियादियों की शिकायत यही है कि उन्हें संतुष्ट किए बगैर ही शिकायतों का निपटारा किया जा रहा है। आलम ये है कि छोटी-छोटी शिकायतों का समाधान हो जाता है और गंभीर प्रकृति की शिकायतें सुनी नहीं जाती। ऐसी शिकायतों का कागजों में ही निपटान कर दिया जाता है। इसलिए कई लोग सीएम ¨वडो में बार बार शिकायतें करते हैं। ऐसी स्थिति में अधिकारी फरियादी पर ही दबाव बनाना शुरू कर देते हैं कि वह राजीनामा कर ले, अन्यथा परिणाम ठीक नहीं होंगे। यानी जितने लोग कार्रवाई से संतुष्ट होते हैं, उससे कहीं ज्यादा नाराज हैं।

सिर्फ छोटी शिकायतों पर सुनवाई

अधिकारी आसानी से छोटी समस्याएं भी नहीं सुनते। कहीं पेयजल पाइप लाइन लीकेज, कहीं सीवरेज समस्या, किसी की पेंशन अटकी है, किसी का राशन कार्ड नहीं बना तो कोई सड़क के गड्ढों से परेशान है। इस तरह की शिकायतों का निवारण कर अधिकारी वाहवाही लूट लेते हैं। जिन शिकायतों में अधिकारियों को माथापच्ची करनी पड़े या फिर कोई पक्षकार मजबूत है तो अधिकारी रुचि नहीं लेते। ऐसी शिकायतों को अधिकारी सुनवाई के बगैर निपटा दिया करते थे। अधिकारी मनमानी न करें, इसलिए निगरानी कमेटियों को पहरेदार बनाया गया। लेकिन अब निगरानी कमेटी के पदाधिकारी भी ऐसा ही कर रहे हैं।

सीएम ¨वडो की शिकायतें

-25 दिसंबर 2014 को शुरूआत हुई थी।

-3500 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं।

-10 फीसद शिकायतें पें¨डग।

-1500 शिकायतें दोबारा आईं।

ऐसे जता रहे लोग नाराजगी

टोहाना के विनय शर्मा ने बिजली निगम के खिलाफ शिकायत दी थी। विनय शर्मा बताते हैं कि बिजली निगम बेवजह परेशान कर रहा है। उनके घर पर अनाप शनाप बिल भेजा जाता है। उसने पहली बार 27 जून 2017 को शिकायत दी थी। इसके बाद दो बार फिर शिकायत दी, लेकिन समाधान नहीं हुआ।

:::::फतेहाबाद की पालिका बाजार में अतिक्रमण को लेकर फ्रेंड्स मोबाइल के संचालक ने तीन बार शिकायत दी थी। बार बार शिकायतें आती देख नप अधिकारियों ने शिकायतकर्ता को ही परेशान करना शुरू कर दिया। अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका। हर बार नप प्रशासन की कोशिश यही रही कि किसी तरह से कागजों में शिकायत को निपटा हुआ दिखा दिया जाए।

::::::भिरडाना के मनोज चंदेल बताते हैं कि गांव में भाखड़ा विस्थापित कामियान भूमि छोड़ी गई है। यह भूमि पंचायत के अधीन है, जो सिर्फ भाखड़ा विस्थापितों को ही ठेके पर दी जा सकती है। लेकिन इस जमीन की बोली की प्रक्रिया में धांधली होती है। इसको लेकर वह तीन बार शिकायत दे चुके हैं। निगरानी कमेटी के पदाधिकारी ही शिकायत का एक तरफा निपटारा करवा देते हैं।

जन समस्याओं का निवारण प्राथमिकता: भारतभूषण मिढ़ा

सीएम ¨वडो में बहुत सारी शिकायतें आती हैं। अगर कोई शिकायत जन सुविधा या सार्वजनिक समस्या से जुड़ी है तो उसका समाधान संभव है। कुछ शिकायतें जटिल होती हैं, जिनका निवारण न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही संभव होता है। अधिकारियों का भी अपना अधिकार क्षेत्र होता है। वे अपने अधिकार से बाहर होकर निर्णय नहीं ले सकते। ऐसी शिकायतों को डिस्पोज ऑफ करना पड़ता है। सरकार की हिदायत ही है कि निगरानी समिति के पदाधिकारी हमेशा शिकायतकर्ता के साथ खड़े रहेंगे। लेकिन जहां कानून से जुड़े पहलू आड़े आते हों वहां पदाधिकारी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। खासकर, पुलिस विभाग व जमीनी विवादों से जुड़ी शिकायतों में कठिनाई आती है।

-भारतभूषण मिढ़ा, संयोजक, निगरानी कमेटी, सिरसा लोकसभा क्षेत्र।

दायरा तय करने की जरूरत: धर्मबीर फौजी

अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सीएम ¨वडो के नाम पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि अधिकारी परेशान हैं। अधिकारी शिकायतों का निवारण करने की बजाय शिकायतकर्ता को अपना विरोध मानकर चलते हैं। सीएम ¨वडो अच्छी सुविधा है, लेकिन सरकार इसका दायरा सुनिश्चित नहीं कर पाई। तय करना चाहिए कि सीएम ¨वडो में किस तरह की शिकायतें दी जा सकती हैं। काफी लोग भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतें देते हैं, लेकिन उन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। सरकार को निर्धारित करना चाहिए कि यहां किन विभागों से संबंधित शिकायत दी जा सकती है। इसके बाद शिकायत निपटाने में औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। यानी सुनवाई साफ सुथरे तरीके से हो।

-धर्मबीर फौजी, सामाजिक कार्यकर्ता।


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