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बराला को धनखड़ से संगठन मजबूती का भरोसा

मणिकांत मयंक फतेहाबाद तकरीबन साढ़े पांच साल तक देश के सबसे बड़े दल भाजपा की राज्य बागडोर संभालते रहे सुभाष बराला नये प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ में संगठन मजबूती की तमाम संभावनाएं देखते हैं। उन्हें भरोसा है कि उनके द्वारा किया गया संगठन विस्तार अब और सबल होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 08:14 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 08:14 AM (IST)
बराला को धनखड़ से संगठन मजबूती का भरोसा
बराला को धनखड़ से संगठन मजबूती का भरोसा

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद

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तकरीबन साढ़े पांच साल तक देश के सबसे बड़े दल भाजपा की राज्य बागडोर संभालते रहे सुभाष बराला नये प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ में संगठन मजबूती की तमाम संभावनाएं देखते हैं। उन्हें भरोसा है कि उनके द्वारा किया गया संगठन विस्तार अब और सबल होगा। तर्क यह देते हैं कि धनखड़ को संगठन और सरकार चलाने-दोनों कार्यो के अनुभव हैं। ये पार्टी संगठन की सबलता को आगे बढ़ाने में काम आएंगे। साथ ही, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला सत्ता-संगठन में जाट-नॉन जाट के कांबो की परंपरा को खारिज करते हैं। उन्हें इस बात का मलाल नहीं कि बतौर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष तीसरी पारी खेलने से चूक गए। वह इसे पार्टी संगठन में लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती का हिस्सा मानते हैं। अपने आगे के भविष्य के बारे में भी उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर विश्वास है। हां, उन्होंने जो सर्वश्रेष्ठ काम किया है उसका उपयोग केंद्रीय नेतृत्व कैसे करता है, यह उनपर निर्भर है। जाने वाला और आने वाला-दोनों खुश

नये प्रदेशाध्यक्ष बनाये जाने के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में सुभाष बराला ने कहा कि यही बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र की खूबसूरती है। जाने वाला और आने वाला-दोनों खुश। जाने वाले की टीम आने वाले की टीम के साथ होती है। नये आने वाले पुराने के पदचिह्नों को मिटाते नहीं बल्कि नया निशान छोड़ते हैं। नये प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ में यह काबिलियत है कि वह पार्टी संगठन के वर्तमान विस्तार को और मजबूती दें। कारण कि धनखड़ छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ-साथ भाजपा में भी राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेवारियां बखूबी निभा चुके हैं। इसलिए पूरा भरोसा है कि साढ़े पांच साल में करीब 19000 नये कार्यकर्ता जोड़कर जो एक पूरी फौज खड़ी गई है उसे मजबूती मिलेगी। संगठन की शक्ति पर बनती है सरकार

अपने कार्यकाल के दौरान भाजपा को नगर निकायों के चुनावों से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनावों में पार्टी का झंडा ऊंचा रखने वाले बराला ने माना कि संगठन और सत्ता के बीच संतुलन साधना सहज नहीं होता। उनके सामने काम करने की चुनौती नहीं थी मगर सबको साथ लेकर चलना चुनौतीपूर्ण जरूर था। उन्होंने इसे बखूबी निभाया। बिना विवाद सत्ता व संगठन के बीच समन्वय को गति दी। सत्ता की राजनीति में जाट-गैरजाट कंबिनेशन की परंपरा की लीक पर चलने की बात पर उन्होंने कहा कि संगठन की शक्ति पर सरकार बनती है। पार्टी का प्रयास होता है कि समाज के हर वर्ग में भाजपा का प्रतिनिधित्व हो और पार्टी में हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। खुद को जाट नेता नहीं साबित कर पाने के सवाल पर बराला ने कहा कि उन्हें कर्मशील जाट समाज में पैदा होने का गर्व जरूर है।


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