खामोशियों में सदाएं : शांत माहौल, खामोश मतदाता, बेचैन प्रत्याशी
जागरण संवाददाता फतेहाबाद संध्या व निशा की संधि-बेला। भट्टूकलां की अनाज मंडी। आमतौर पर
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
संध्या व निशा की संधि-बेला। भट्टूकलां की अनाज मंडी। आमतौर पर चहल-पहल वाली यह मंडी शांत है। वजह चुनाव के चलते मंडी में दो दिनों तक फसलों की बोली नहीं होनी। मंडी की एक ओर दुकान पर हुक्का मंडली डटी हुई है। चिलम की आंच मद्धिम है। गुडगुड़ाहट है मगर कशिश नहीं। खामोशी छायी। शायद तूफान से पहले की।
इसी बीच दुकानदार प्रेम कुमार अपने कारिदों को कुछ निर्देश देकर हुक्के से मुंह सटा लेते हैं। माहौल फिर शांत। साथ बैठे कृष्ण के चेहरे पर कई भाव चढ़ते-उतरे जा रहे हैं। उसके साथी मनोहर से अब रहा नहीं गया। वह अपने साथ बैठे कृष्ण से पूछ बैठता है- तुम भाई आज इतने शांत क्यों हो? जवाब मिलता है-किमे ना भाई, ऐसी कोई बात नहीं.. वो क्या है न कि तीनों-चारों पार्टी आले घर आए थे। हमने तो सभी को उनका मान रखने के वादा कर लिया था। वहीं मनोहर कहता है कि ऐसा तो सभी वादा करते हैं। वे भी (उम्मीदवार) चुनाव से पहले हमसे वादा करते हैं। वहीं हुक्का गुड़गुड़ा रहे प्रेम कुमार की भी चुप्पी टूट जाती है। कहते हैं, चुनावों में यही अच्छे मतदाता की पहचान है, वोट देने का वादा सभी से करो। वोट उसे ही दो क्षेत्र के विकास के बारे में सोचे। जिसकी प्रदेश में सरकार बन रही हो।
ऐसी ही खामोशी का माहौल रतिया विधानसभा के सबसे बड़े गांव भिरड़ाना में है। मुख्य बाजार में चहलकदमी करते हुए लोगों के चेहरे शांत है। बाजार में एक दुकान पर बैठे ग्रामीण बलवंत, संदीप व राकेश आपस में चर्चा कर रहे है। तभी संदीप कहता है अब तो हो लिया जो होना था, सबने तय कर लिया है कि क्या करना है। किसे वोट देना है। किसे नहीं। तभी बलवंत बीच में टोकते हुए कहता है कि देख भाई, मुझे तो तड़के उठकर सुबह सबसे पहले वोट डालने ही जाना है। बापू पूछ रहा था कि किसे वोट देना है। कह दिया था, जिसके दिल करे उसे ही दो।
सच तो यह है कि प्रचार का पहिया थमने के बाद समूचे जिले के क्षेत्र में शांति पसर गई है। अब इंतजार है तो बस भोर होने का। देखना यह होगा कि मतदान केंद्रों पर शांति ठहर पाती है या नहीं। फिलहाल तो यही कह सकते हैं कि बिछी बिसात सियासत की मगर हर राह पर सन्नाटे, खामोशियों से उठ रही दुआओं की सदाएं..।