एक हजार के पीछे 924 जन्मीं बेटियां, पिछले साल की तुलना में 31 बढ़ीं
मुकेश खुराना फतेहाबाद बेटियों के लिए इस बार जिला सुखद रहा है पिछले तीन सालों की
मुकेश खुराना, फतेहाबाद :
बेटियों के लिए इस बार जिला सुखद रहा है, पिछले तीन सालों की तुलना में इस बार बेटियों की किलकारियां सबसे ज्यादा गूंजी है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत के बाद पहली बार लिगानुपात ने पिछले रिकार्ड तोड़ दिए हैं। अब तक जिला का लिगानुपात 924 सामने आया है। जबकि पिछले साल जिला का लिगानुपात 893 था यानि की यहां पर एक हजार के पीछे 107 बेटियों ने कम जन्म लिया था जबकि इस बार पिछले साल की तुलना में 31 बेटियां ज्यादा जन्मीं हैं। स्वास्थ्य विभाग इसे आशा वर्करों और एएनएम पर सख्ती के परिणाम बता रहा है। विभाग के मुताबिक आशा वर्करों और एएनएम को गर्भवती की ट्रेकिग करने के आदेश दिए गए थे। इस बार लिग जांच का कोई मामला भी सामने नहीं आया है हालांकि गर्भपात के लिए किट बेचते के दो मामले पकड़े जा चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों की माने तो दो माह में लिगानुपात और सुधरने की उम्मीद है। 2016 में लिगानुपात 923 रहा था, इसके बाद 2017 में 912 तो 2018 में 893 रहा था।
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शहर के मुकाबले गांव का लिगानुपात बेहतर :
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के मुकाबले गांवों का लिगानुपात बेहतर है। गांवों में एक हजार के पीछे 938 बेटियों ने जन्म लिया है जबकि शहर में एक हजार के पीछे 920 बेटियों ने जन्म लिया है।
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जाने कहां कितना लिगानुपात
पीएचसी,भट्टूकलां - 862
पीएचसी, बनगांव - 800
पीएचसी, बड़ोपल - 716
पीएचसी, पीलीमंदोरी - 932
पीएचसी, रतिया - 894
पीएचसी, भिरड़ाना - 795
पीएचसी, नागपुर - 1281
पीएचसी, भूना - 1011
पीएचसी, झलनिया - 897
पीएचसी, नहला - 823
पीएचसी, पिरथला - 1231
पीएचसी, जाखल - 982
पीएचसी, कुलां - 743
पीएचसी, म्योंद कलां - 1000
पीएचसी, मामुपुर - 1000
पीएचसी, समैन - 875
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जानिए शहर की स्थिति -
शहर फतेहाबाद - 982
शहर रतिया - 1054
शहर टोहाना - 830
सिविल अस्पताल फतेहाबाद - 915
सिविल अस्पताल टोहाना - 945
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शहरी - 920
ग्रामीण - 938
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जानिए कब क्या रहा लिगानुपात
वर्ष लिगानुपात
2015 894
2016 923
2017 912
2018 893
2019 924
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मार्च माह में एक ने बिगाड़ा लिगानुपात :
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी माह में 928, फरवरी में 922, मार्च में 999, अप्रैल में 959, मई में 848, जून 867, जुलाई 869, अगस्त 925, सितंबर 958 तथा अक्टूबर में 945 लिगानुपात रहा है।
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आशा वर्कर को यूं करनी होती है ट्रेकिग :
आशा वर्कर को अपने एरिया के गर्भवती का रिकार्ड दर्ज करना होता है। इसके बाद वह उसका चेकअप चार बार करवाती है। अगर प्राइवेट से भी उपचार ले रही है तो भी उसका रिकार्ड दर्ज होता है। रिकार्ड में दर्ज होता है कि गर्भवती ने कब अल्ट्रासाउंड कब और कहां से करवाया है। कहां से उपचार ले रही है पहले कितने बच्चे हैं। पहले कितनी बेटियां है। गर्भवती की डिलीवरी होने तक पूरा रिकार्ड रखती है।
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पिछले साल की तुलना में इस बार लिगानुपात अब तक बेहतर रहा है, जिला का लिगानुपात 924 तक पहुंच गया है। आशा वर्करों और एएनएम की मीटिग लेकर उन्हें अपने एरिया में निगरानी रखने के आदेश दिए गए हैं। विभाग की टीमें भी पूरी तरह से निगरानी रख रही हैं। सरकार की तरफ से लिग जांच की सूचना देने वाले को सम्मानित भी किया जा रहा है।
- डा.मनीष बंसल
सिविल सर्जन, फतेहाबाद