55 लाख रुपये के चक्कर में रोडवेज को 65 लाख रुपये का घाटा
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : रोडवेज यूनियनों की शर्तें बिना माने पहली बार सरकार ने किसी
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : रोडवेज यूनियनों की शर्तें बिना माने पहली बार सरकार ने किसी तरह हड़ताल खत्म करवा दी थी। तब सरकार को लगा कि ओवरटाइम से डिपो को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। ओवरटाइम बंद करना चाहिए। सरकार ने गत 15 नवंबर को ओवरटाइम बंद करने के आदेश दिए। 20 नवंबर तक फतेहाबाद डिपो के अधिकारियों ने 60 फीसद से अधिक ओवरटाइम कम दिया। इसका प्रभाव यह पड़ा कि जो रोडवेज की बसें पहले 58 हजार किलोमीटर तय करते हुए प्रतिदिन 15 लाख रुपये कमाती थी। अब 46 हजार किलोमीटर की दूरी तय करने पर सिर्फ 11 लाख रुपये ही कमा पाती है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि इससे उनकी रसीट अर्थात प्रति किलोमीटर आय बढ़ गई। वहीं रोडवेज यूनियन के नेताओं का आरोप है कि रोडवेज के अधिकारी उच्चाधिकारियों को रसीट के नाम पर गुमराह कर रहे हैं। ओवरटाइम के नाम पर कर्मचारियों को प्रतिमाह 55 लाख रुपये अतिरिक्त देते थे। हालांकि इससे रोडवेज को 1 करोड़ 20 लाख रुपये की अतिरिक्त आय होती थी, जो अब बंद हो गई। इससे सरकार व कर्मचारियों दोनों को नुकसान हुआ है।
----------------------------------रोटेशन घटाने से यात्रियों को हो रही परेशानी :
निदेशालय से जब ओवरटाइम कम करने के सख्त आदेश हुए तो रोडवेज डिपो के अधिकारियों ने बसों की रोटेशन घटा दी। इससे यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। चंडीगढ़ व दिल्ली के करीब आठ रूट पहले ही बंद कर दिए थे। इतना ही नहीं जिन गांवों में पहले एक दिन में चार बार बसें जाती थी, अब वहां पर दो बार ही बसें जाती है। इसी तरह हिसार व सिरसा के लिए चलने वाली बसों की संख्या में काफी कमी हो गई। इसका फायदा भी बिना निजी बस आपरेटर उठा रहे है, वे बिना परमिट के ही हिसार व सिरसा रूटों पर बसें चला रहे है। हिसार जाने के लिए बस स्टैंड के बाहर खड़े युवा संदीप, आलोक व गौरव ने बताया कि पहले हिसार जाने के लिए बसों का इंतजार नहीं करना पड़ता था, अब ऐसा नहीं है। अब आधे घंटे तक बसें नहीं मिलती।
---------------------------
6 करोड़ हर महीने आता है खर्च :
फतेहाबाद डिपो में कर्मचारियों के वेतन व तेल खरीदने के लिए 6 करोड़ का बजट चाहिए। ओवरटाइम के दौरान डिपो को करीब 4 करोड़ 70 लाख रुपये आय हो जाती थी। उसके बाद भी प्रत्येक महीने रोडवेज 1 करोड़ 30 लाख रुपये के आसपास घाटा लगता था। रोडवेज में 723 कर्मचारी कार्यरत है। जिन्हें प्रतिमाह साढ़े तीन करोड़ रुपये वेतन दिया जाता हैं। ढाई करोड़ रुपये रोडवेज में तेल, बसों के रखरखाव व अन्य कार्यों पर खर्च होते हैं। ऐसे में पहले रोडवेज को सवा करोड़ रुपये का घाटा लगता था, अब यह घाटा 2 करोड़ रुपये लगना शुरू हो गया है।
----------------------------
इस बारे में अभी मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। इस बारे में मैं अपने सांख्यिकी अधिकारी के बात करने के बाद ही आपको कुछ बताउंगा।
- जयवीर यादव, महाप्रबंधक, रोडवेज डिपो।
--------------------------------------
ओवरटाइम कम करने से आमजन को परेशानी हो रही है, अब घाटा भी लगना शुरू हो गया है। डिपो को प्रत्येक दिन पांच लाख रुपये से अधिक घाटा लग रहा है। ऐसे में एक महीने में डेढ़ करोड़ रुपये नुकसान हो गया, जबकि ओवरटाइम देने से सिर्फ डिपो को 55 लाख रुपये देने पड़ते थे।
- मनोज कुंडू व ईश्वर सहारण, डिपो प्रधान फतेहाबाद।