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हड़ताल से 220 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित, 80 फीसद एटीएम बंद

केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले विभिन्न बैंकों की हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 07:45 AM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 07:45 AM (IST)
हड़ताल से 220 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित, 80 फीसद एटीएम बंद
हड़ताल से 220 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित, 80 फीसद एटीएम बंद

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले विभिन्न बैंकों की हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। हड़ताल के साथ साथ बैंक कर्मचारियों ने एसबीआइ मेन ब्रांच के बाहर धरना देते हुए सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। बता दें कि वित्त मंत्री द्वारा हाल ही में पेश किए गए बजट में दो बैंकों और एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव आने के बाद बैंक कर्मचारी सरकार के विरोध में यह हड़ताल की है।

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बैंक बंद होने के कारण उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिले में आज भी 70 फीसद लोग इंटरनेट बैंकिग का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में ये लोग बैंक पर ही आधारित हैं। पिछले दो दिनों से बैंक बंद होने से 220 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ है।

जिले में पिछले चार दिनों से बैंक बंद हैं। शनिवार व रविवार को सरकारी अवकाश था और सोमवार व मंगलवार को कर्मचारियों की हड़ताल थी। ऐसे में बैंक खुले नहीं। जिला अग्रणी बैंक अधिकारी भी खुद मान रहे हैं कि कारोबार पर असर पड़ा है। बुधवार को चार दिन बाद बैंक खुलेंगे। जिससे बैंकों में भीड़ रहेगी। सोमवार को 40 फीसद एटीएम कर रही थीं काम

पिछले चार दिनों से एटीएम में रुपये की अधिक निकासी होने के कारण रुपये भी खत्म हो गए हैं। सोमवार को जिले में 40 फीसद एटीएम काम कर रही थीं। मंगलवार को केवल 20 फीसद ही चालू मिलीं। एटीएम कैबिन खुले हुए थे, लेकिन उसके अंदर रुपये न होने के कारण उपभोक्ताओं को निराश ही लौटना पड़ा। पुलिस लाइन शहर से तीन किलोमीटर दूर है और वहां पर दो एटीएम हैं। शहरवासी वहां तक रुपये निकलवाने के लिए गए हुए थे। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बैंक बंद होने से उपभोक्ताओं को कितनी परेशानी आई थी। बैंक अधिकारी दावा तो यहां तक कर रहे थे कि एटीएम में रुपये डालने की जिम्मेदारी एजेंसी को दी गई है, लेकिन एजेंसी ने भी सही से काम नहीं किया। मुख्य ब्रांच के बाहर दिया धरना

भट्टू रोड पर स्थित एसबीआइ के बाहर कर्मचारियों ने धरना देकर सरकार के खिलाफ रोष जताया। बैंक कर्मचारी नेता कुलदीप ढाका ने कहा कि सरकार की नीतियां पूंजीपतियों के पक्ष में है, जोकि आम जनता के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने चहेते कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई से स्थापित सरकारी बैंकों व इंश्यारेंस कंपनियों को बेचने पर आमदा है। कर्मचारी नेता मनीष बेनीवाल ने कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि सरकार बिजनेस करने के लिए नहीं हैं, अगर ऐसा है तो सरकार देश के बड़े-बड़े बिजनेसमैन का साथ क्यों दे रही है, क्यों जनता के हितों के साथ सरकार खिलवाड़ कर रही है। देश की अर्थव्यवस्था को चलाने वाले बैंकों का निजीकरण करना न ही बैंक कर्मियों के हित में और न ही आम जनता के हित में है। पूर्व कर्मचारी नेता पूनम चंद रत्ति ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि वित्त मंत्री का कहना है कि डीजल-पेट्रोल की कीमतों पर सरकार को कोई नियंत्रण नहीं है, यदि ऐसा है तो देश की जनता को सरकार की जरूरत क्या है, यदि ऐसा है तो रेलवे, बैंक, इंश्योरेंस, एयरपोर्ट व अन्य बड़े विभागों का निजीकरण किस अधिकार से कर रही है। जगदीश मोंगा व नरेंद्र लांबा ने कहा कि सरकारी बैंक सर्वदा जनता के हितों में काम करते हैं। आज के माहौल में निजी बैंक केवल लाभ कमाने में लगे हुए हैं। मौके पर एसबीआइ से अनिल खलेरी, जगदीप सिंह, विक्रम सिंह, संजय यादव, राजीव रतिया, उमेद सांगा, बीबी भाटिया, प्रभात सिंह, धनंजय, विनोद रत्ति, ललित, भारती ऐलाबादी, पीएनबी से सुनम सोनी, मांगेराम, दीप कुमार, सुरेश गर्ग, पूनम, रवि गुप्ता, कंवर ग्रेवाल, मनीराम, भारत भूषण सचदेवा, कमलेश शास्त्री, भारत भूषण सिगला, यूनियन बैंक से दीपक, विक्रम, कुलदीप, साहिल, नवदीप सैनी, बैंक ऑफ इंडिया से सचिन, संदीप बराला, इंडियन बैंक से अमित, सूबे सिंह मौजूद थे। आंकड़ों पर डालें नजर

जिले में बैंक : 185

जिले में निजी बैंक : 38

जिले में बैंक बंद रहे : 147

जिले में एटीएम : 135 बुधवार को जिले में सभी बैंक खुलेंगे। ऐसे में उपभोक्ताओं को जो परेशानी आई थी, वो भी दूर हो जाएगी। इसके अलावा सभी बैंकों को आदेश दिए गए हैं कि एटीएम में रुपये खत्म हैं तो एजेंसी को बोलकर रुपये डलवाएं। यूनियन की हड़ताल थी, इसमें वो कुछ नहीं कर सकते।

-उमाकांत चौधरी, जिला अग्रणी बैंक अधिकारी, फतेहाबाद।


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