जीत की प्रवृत्ति ने अवनी को दिलाया पैरालंपिक कोटा
वर्ष 2012 में सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से चोटिल होने वाली जयपुर की अवनि को जीत की प्रवत्ति ने पैरालंपिक कोटा दिलाया है।
अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद : वर्ष 2012 में सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से चोटिल होने वाली जयपुर (राजस्थान) की अवनी लेखरा ने जीवन में कभी हारना नहीं सीखा। अवनी की जीत की इसी प्रवृत्ति ने उन्हें निशानेबाजी स्पर्धा में अगस्त 2021 में होने वाले टोक्यो पैरालंपिक का कोटा दिलवाया है। अवनी पैरालंपिक में चार इवेंट में हिस्सा लेंगी। अवनी इन दिनों मानव रचना रचना शिक्षण संस्थान में स्थित शूटिग रेंज में जारी प्रथम पैरा शूटिग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के फरीदाबाद आई हुई हैं।
अवनी वर्ष 2012 में सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी और उनकी आधे शरीर में लकवा मार गया था। इस हादसे में परिवार के अन्य सदस्य भी घायल हुए थे। सड़क दुर्घटना के बाद से ही पूरी तरह से व्हील चेयर पर निर्भर हो गई हैं। अवनी ने कभी अपने दिव्यांग होने का अफसोस नहीं मनाया है, बल्कि उन्होंने अपनी दिव्यांगता को अवसर में बदला है। अवनी के इस कार्य में उनकी मां श्वेता जेवरिया बखूबी साथ दे रही हैं। श्वेता प्रत्येक प्रतियोगिता में अपनी बेटी के साथ जाती हैं। जुटी तैयारियों में
अवनी ने वर्ष 2019 में यूएई में हुए वर्ल्ड कप में पैरालंपिक कोटा प्राप्त किया था, उसके बाद से पैरालंपिक में पदक जीतने के लक्ष्य को लेकर हर छोटी से छोटी चीज पर ध्यान दे रही हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी व्हील चेयर, टेबल नए सिरे से डिजाइन करवाई है। नई राइफल ली है, जो ओलंपिक के मानकों के अनुरूप है। अवनी प्रतिदिन सुबह और शाम तीन-तीन घंटे का प्रशिक्षण ले रही हैं। इसमें भारतीय टीम के कोच सुभाष राणा एवं जेपी नौटियाल प्रमुख रूप से सहयोग करते हैं। प्रशिक्षण में शारीरिक व्यायाम को भी शामिल किया है। छह वर्षों से पदक जीत रही हैं
अवनी ने बताया कि वर्ष 2015 से राष्ट्रीय पैरालंपिक शूटिग चैंपियनशिप में हिस्सा ले रही हैं और 2015 में कांस्य जीता, जबकि पांच बार से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत रही हैं। इन इवेंट में लेंगी हिस्सा
- 10 मीटर स्टैंडिग एयर राइफल
- 10 मीटर प्रोन राइफल
- 50 मीटर प्रोन राइफ
- 50 मीटर थ्री पोजीशन इवेंट अभिनव बिद्रा ने किया प्रभावित
अवनी ने बताया कि वह तीन वर्षों में पूरी तरह ठीक हो पाई थीं। इसके बाद से ही काफी उदास रहती थी। उनकी उदासी को दूर करने के पिता प्रवीन कुमार लेखरा ने वर्ष 2015 में घर के नजदीक स्थित शूटिग रेंज में भेजा। वहां पर अवनी ने पहला निशाना ही सटीक लगाया और शूटिग के प्रति रुचि बढ़ने लगी। इसके बाद उन्होंने ओलंपिक पदक विजेता शूटर अभिनव बिद्रा की जीवनी पढ़ी और इससे वह काफी प्रभावित हुई और शूटिग को प्रोफेशनल तरीके से अपना लिया। शूटिग में ही बेहतर भविष्य बनाने का प्रण लिया। शूटिग के साथ वह बीए एलएलबी भी कर रही हैं।