सिंहराज की धर्मपत्नी ने कहा, पति के पदक ही मेरे आभूषण
टोक्यो पैरालिपिक में स्वर्ण जीतने वाले मनीष व रजत तथा कांस्य पदक जीतने वाले सिंहराज अधाना का जोरदार स्वागत हुआ।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : टोक्यो पैरालिपिक में पहले 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक और फिर 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में रजत पदक जीत कर दोहरी कामयाबी हासिल करने वाले निशानेबाज सिंहराज की धर्मपत्नी कविता अपने पति के स्वागत व अभिनंदन से अभिभूत नजर आईं। टोक्यो पैरालिपिक की तैयारियों के लिए सिंहराज अभ्यास बेहतर तरीके से कर पाएं, उनके समक्ष संसाधनों की कमी न आड़े आए, इसके लिए कविता ने अपने गहने बेच दिए थे।
दैनिक जागरण ने जब उनसे स्वागत-सत्कार व अभिनंदन को देख कर पूछा कि क्या उन्होंने इस तरह की परिकल्पना की थी, इस पर पलवल के गुर्जर बहुल गांव कुशक बड़ौली में जन्मीं कविता ने कहा कि यह कहने में उन्हें कोई संकोच नहीं है कि ऐसा तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था। उनकी तो यही इच्छा थी कि देश से बाहर पति जा रहे हैं और खेलों में बेहतर प्रदर्शन करें। इसी चाहत के मद्देनजर जब घर में शूटिग रेंज स्थापित करने और एक अदद अच्छी पिस्टल होने जैसी बातें सामने आईं, तो रुपये-पैसे का प्रबंध कहां से हो, इस बाबत परिवार में बात हुई। कविता के अनुसार इस पर उन्होंने अपने गहने बेच कर संसाधनों को पूरा करने की बात कही। हालांकि तब उनकी सास मां किरनवती ने उन्हें ऐसा करने से रोका भी कि बहू के गहने क्यों बेचें जाएं, पर उन्होंने सासू मां को मना लिया। इस तरह जो त्याग किया, उसका फल अब मीठा नहीं बल्कि बहुत मीठा मिला है। त्याग सफल हो गया है और पति के गले में पड़े दो पदक ही अब उनके अति प्रिय आभूषण हो गए हैं।