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एक बारिश नहीं झेल सकीं सड़कें

हम अपने शहर को स्मार्ट सिटी बनने के ख्वाब देख रहे हैं। चकाचक सड़कें बनाने के दावे तो खूब किए जा रहे हैं पर यह कितने दिन चलेंगी इसकी जीता जागता उदाहरण देखा जा सकता है। मानसून की एक अच्छी बारिश कहीं राहत तो कहीं आफत बन गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 06:30 AM (IST)
एक बारिश नहीं झेल सकीं सड़कें
एक बारिश नहीं झेल सकीं सड़कें

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद : हम अपने शहर को स्मार्ट सिटी बनने के ख्वाब देख रहे हैं। चकाचक सड़कें बनाने के दावे तो खूब किए जा रहे हैं, पर यह कितने दिन चलेंगी, इसकी जीता जागता उदाहरण देखा जा सकता है। मानसून की एक अच्छी बारिश ने आम लोगों को राहत के साथ-साथ अधिकारियों और सड़क बनाने वाले ठेकेदारों के बीच हुई मिलीभगत की पोल खोलकर सामने ला दी है।

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बारिश के बाद सड़कों से तारकोल गायब हो गया है, बिछाई के पत्थर ऊपर आ गए हैं और चौड़े हुए गड्ढे दोपहिया वाहन चालकों की जान को खतरा बन गए हैं। शहर में ऐसी हालत एक-दो या तीन सड़कों की नहीं बल्कि लगभग सभी मुख्य सड़कों की है। यह अलग बात है कि सरकार ने कुछ दिन पहले गड्ढा मुक्त सड़़क बनाने का दावा किया था, पर अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह दावे कितने खोखले हैं। अब चाहे कसूर इसमें ठेकेदारों द्वारा घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करने से हो या अधिकारियों की उदासीनता। वैसे अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं। कई जिदगी लील चुके हैं गड्ढे

सड़क पर गड्ढा एक परिवार की खुशियों को किस तरह लील जाता है, इसका उदाहरण सेक्टर-19 निवासी मनोज वधवा सहित कई और हैं। टूटी सड़क के कारण वर्ष 2010 में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाटा मोड़ के निकट वधवा के तीन वर्षीय बेटे पवित्र की मौत हो गई थी, जो अब दूसरों की सुरक्षा के लिए पूरी शिद्दत से लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले दिनों पलवली गांव निवासी 40 वर्षीय शारदा भी मास्टर रोड पर एक गड्ढे का शिकार हुई। इसके अलावा कई परिवार ऐसे गड्ढों की वजह से आज भी दुख झेल रहे हैं। जलभराव में और बुरा हाल

गड्ढों में बारिश का पानी जमा होने के बाद पता नहीं चलता है और हादसे होते हैं। हर साल सड़कों के ऊपर तारकोल पानी की तरह बह जाता है और बड़े गड्ढे बन जाते हैं। फिर इन्हें सालभर तक ठीक नहीं किया जाता। इस कारण लाखों वाहन चालक हिचकोले तो खाते ही हैं साथ में दुघर्टना भी होती रहती हैं। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और जिला अदालत भी सड़कों के गड्ढों से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर चिता जता चुकी हैं। -नगर निगम प्रशासन को इन सड़कों की तुरंत मरम्मत की तरफ ध्यान देना चाहिए, साथ ही इन टूटी सड़कों के प्रति आंखें फेरने वाले इंजीनियरिग स्टाफ की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

-एनके गर्ग, प्रधान, कान्फेडरेशन ऑफ आरडब्लयूए बारिश की वजह से सड़कें जर्जर हो गई हैं। जहां गड्ढे बन गए हैं, उनमें फिलहाल मलबा भर दिया जाएगा। जैसे ही बारिश का सीजन पूरा होगा, सड़कों की मरम्मत करा दी जाएंगी। क्योंकि अब मरम्मत करेंगे तो वह फिर से खराब हो जाएंगी।

-अनीता यादव, निगमायुक्त।


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