एनजीटी की रोक के बावजूद जारी हैं गैर वानिक गतिविधियां
ग्रीन फील्ड कालोनी में करीब आठ एकड़ जमीन पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की रोक के बावजूद गैर वानिक गतिविधियां जारी हैं। यहां न केवल पेड़ काटे जा रहे हैं बल्कि अर्थमूवर मशीन से जंगल भी साफ किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : ग्रीन फील्ड कालोनी में करीब आठ एकड़ जमीन पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की रोक के बावजूद गैर वानिक गतिविधियां जारी हैं। यहां न केवल पेड़ काटे जा रहे हैं, बल्कि अर्थमूवर मशीन से जंगल भी साफ किया जा रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ता विजय चावला ने यहां पेड़ों को काटकर रिहायशी कालोनी विकसित किए जाने को लेकर एनजीटी में याचिका लगाई थी। उन्होंने एनजीटी को बताया कि ग्रीन फील्ड कालोनी के बीच स्थित करीब आठ एकड़ जमीन का मालिकाना हक एक ट्रस्ट के नाम है। जमीन पर तरह-तरह के हजारों पेड़ पौधे हैं। इस जमीन का लैंड यूज गैर मुमकिन पहाड़ के तौर पर दर्ज है। पीएलपीए (पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट) की धारा-4,5 के तहत यहां बिना अनुमति न तो कोई पेड़ काटा जा सकता है, न ही कोई निर्माण कार्य हो सकता है। कुछ साल पहले ट्रस्ट ने जमीन की डील हैदराबाद के एक बिल्डर से कर ली। बिल्डर यहां रिहायशी सोसायटी खड़ी करना चाहता है। इसलिए उसने इस जमीन पर से धीर-धीरे जंगल साफ करना शुरू कर दिया। यहां करीब दो एकड़ जमीन से सैकड़ों पेड़ काट दिए। पर्यावरण कार्यकर्ता ने वन विभाग को शिकायत दी, तब वन विभाग के अधिकारियों का ध्यान इस तरफ गया। उन्होंने पेड़ काटने वाले ठेकेदार व मजदूरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद भी बिल्डर यहां योजनाबद्ध तरीके से अंदर ही अंदर पेड़ों को काटकर जमीन साफ करता रहा। इस दौरान वन विभाग के अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे। तब पर्यावरण कार्यकर्ता ने एनजीटी में याचिका डाली। एनजीटी ने करीब एक महीने पहले यहां पेड़ काटने सहित सभी तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी। साथ ही उपायुक्त, वन विभाग और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जमीन पर गैर वानिक गतिविधियां न हों। इसके बावजूद यहां अर्थमूवर मशीन से जमीन को समतल किया जा रहा है और रोड बनाई जा रही है।
53 एकड़ जमीन को किया था वन क्षेत्र घोषित :
यह सराय ख्वाजा का रकबा पड़ता है। इस क्षेत्र में करीब 53 एकड़ जमीन का भी इसी तरह का मामला था। उस जमीन का मालिकाना हक एक टेलीकाम कंपनी के नाम है। टेलीकाम कंपनी भी वहां रिहायशी सोसायटी विकसित करना चाहती थी। साल 2019 में एनजीटी ने उस भूमि को वन क्षेत्र घोषित कर सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।
वर्जन :::
संबंधित जमीन पर गैर वानिक गतिविधियों की सूचना नहीं है। मौके पर जाकर स्थिति देखी जाएगी। अगर कोई वहां ऐसा कर रहा है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
- राजकुमार, जिला वन्य अधिकारी