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निकिता की हत्या के दोषियों तौशीफ और रेहान को उम्रकैद

बल्लभगढ़ में 26 अक्टूबर 2020 को अग्रवाल कालेज के बाहर छात्रा निकिता तोमर की गोली मारकर हत्या करने के मामले में अदालन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 06:33 PM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 06:33 PM (IST)
निकिता की हत्या के दोषियों 
तौशीफ और रेहान को उम्रकैद
निकिता की हत्या के दोषियों तौशीफ और रेहान को उम्रकैद

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : बल्लभगढ़ में 26 अक्टूबर 2020 को अग्रवाल कालेज के बाहर गोली मारकर छात्रा निकिता की हत्या के दोषियों तौशीफ और रेहान को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन पर 20-20 हजार रुपये जुर्माना भी किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज बासवाना की अदालत ने अगवा करने की कोशिश के लिए दोनों को पांच साल जेल और दो-दो हजार रुपये जुर्माना, साजिश रचने की धारा के तहत दोनों को पांच साल जेल व दो-दो हजार रुपये जुर्माना और शस्त्र अधिनियम के तहत तौशीफ को चार साल जेल और तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा की। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

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सेक्टर-56 अपना घर सोसायटी निवासी निकिता बीकाम आनर्स तृतीय वर्ष की छात्रा थीं। अदालत में पेश मुकदमे के अनुसार सोहना निवासी तौशीफ निकिता से एकतरफा प्यार करता था, उस पर शादी के लिए दबाव बना रहा था। शादी से इन्कार करने पर उसने साथी रेहान के साथ मिलकर निकिता की हत्या की। बुधवार को अदालत ने तौशीफ और रेहान को निकिता की हत्या का दोषी ठहराया था। निकिता की हत्या को लव जिहाद से जोड़कर देखा गया था और देशभर में इस घटना पर उबाल देखा गया था। इस घटना के बाद यूपी सरकार ने लव जिहाद के लिए कानून बनाया, वहीं प्रदेश सरकार ने भी कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ठीक पांच माह बाद 26 मार्च को यह फैसला सुनाया। हमारे लिए अभी न्याय अधूरा है। हमारी हंसती खेलती जिदगी में दोषियों ने जहर घोल दिया। हमारी कोशिश दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की है। अब हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे और दोषियों को फांसी कराकर ही दम लेंगे।

-मूलचंद तोमर, निकिता के पिता अदालत के फैसले का हम सम्मान करते हैं। अदालत ने कम समय में फैसला दिया है। हम फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। हाई कोर्ट में अपील कर हम दोषियों को अधिक सजा की मांग करेंगे।

-एदल सिंह रावत, निकिता पक्ष के वकील आरोप पक्ष के पास केवल एक चश्मदीद गवाह था, उसने भी अदालत में तौशीफ की पहचान नहीं की। हमने अदालत से अपील की थी कि इस मुकदमे को दुर्लभतम की श्रेणी में ना रखा जाए। अदालत ने हमारी अपील स्वीकार की। फैसले का अध्ययन कर हम सजा कम करने के लिए हाई कोर्ट में अपील करेंगे।

-अनीस खान, तौशीफ के वकील


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