फरीदाबाद : दुर्गा पूजा-मां को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं करती हैं उला व शंख ध्वनि
फरीदाबाद दुर्गाबाड़ी समिति की ओर से रविवार को आयोजित दुर्गा पूजा उत्सव में मल्लीपाल सुनंदा दास संचित चक्रवर्ती तथा गीता पटनायक ने मां के दरबार में हाजिरी लगाने के साथ ही उला व शंख ध्वनि की। ऐसे में ताशा बजाकर उत्सव के आकर्षण को बनाए रखा।
फरीदाबाद [अनिल बेताब]। दुर्गा पूजा महोत्सव के दौरान महिलाएं उलू और शंख ध्वनि से देवी मां को प्रसन्न करती हैं। किसी भी शुभ कार्य, शादी समारोह या पूजा उत्सव के दौरान उलू ध्वनि निकाली जाती है। जीभ को मुंह में तेज गति से घुमाने से जो ध्वनि निकलती है, उसे उलू ध्वनि कहते हैं। ऐसी ही शंख ध्वनि से भी देवी की पूजा की जाती है। विद्वानों का मानना है कि ध्वनि का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बड़ा महत्व है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी इसे उपयोगी माना गया है। फरीदाबाद दुर्गाबाड़ी समिति की ओर से रविवार को आयोजित दुर्गा पूजा उत्सव में मल्लीपाल, सुनंदा दास, संचित चक्रवर्ती तथा गीता पटनायक ने मां के दरबार में हाजिरी लगाने के साथ ही उला व शंख ध्वनि की। ऐसे ही इंद्रजीत शील ने ढाक(ढोल) तथाप्रिया दास ने ताशा बजाकर उत्सव के आकर्षण को बनाए रखा।
फरीदाबाद दुर्गाबाड़ी समिति के पंडित एलके चक्रवर्ती ने बताया कि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शंख ध्वनि और उलू ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है। इससे एक तरह से फेफडों का व्यायाम हो जाता है। यह देवी मां की आराधना तो है ही। हम ऐसा करके देवी मां से सबके लिए मंगल कामना करते हैं। हमने पूजा अर्चना करके काेरोना से मुक्ति की कामना की है।
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