देश के परंपरागत खेलों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए, जितना हम क्रिकेट को देते हैं: रिजिजू
रिजिजू ने आगे कहा कि 2008 में अभिनव बिंद्रा ने जब निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता और साथ में पहलवान सुशील कुमार ने और मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने ओलंपिक में पदक जीते तो उसके बाद से देश में खेल संस्कृति में बदलाव आया है।
फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। केंद्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि हमें अपने देश के परंपरागत खेलों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए, जितना हम क्रिकेट को देते हैं। मानव रचना शिक्षण संस्थान में आयोजित खो खो के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन करने आए रिजिजू ने जापान के राष्ट्रीय खेल सूमो का उदाहरण देते हुए बताया कि आज इस खेल को विश्व भर में इसलिए जाना जाता है कि जापान ने इसे खूब महत्व दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह कबड्डी खेल विश्व भर में लोकप्रिय हो रहा है और इस खेल की प्रो-लीग भी आयोजित होती है उसी तरह से उम्मीद है कि खो-खो भी एक दिन विश्व भर में लोकप्रिय होगा, इसके लिए कारपोरेट घरानों को आगे आना चाहिए।
किरन रिजिजू ने आगे कहा कि ओलंपिक खेलों में 125 करोड़ से ज्यादा वाले भारत देश को ज्यादा पदक ना मिलना निराशाजनक है, बताया कि किस तरह 1980 के मास्को ओलंपिक में जब रेडियो पर प्रसारण हो रहा था और उस समय हॉकी में ही एक मात्र स्वर्ण पदक मिला, तब तब वह छोटे थे और उन्हें तब वह पीड़ा हुई थी और उसके बाद के ओलंपिक खेलों में भारत में कोई पदक नहीं जीता, फिर परसों का सूखा 1996 के ओलंपिक में खत्म हुआ जब लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीता।
देश की खेल संस्कृति में आया बदलावः किरन रिजिजू
रिजिजू ने आगे कहा कि 2008 में अभिनव बिंद्रा ने जब निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता और साथ में पहलवान सुशील कुमार ने और मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने ओलंपिक में पदक जीते तो उसके बाद से देश में खेल संस्कृति में बदलाव आया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके मन की चाह पूरा करते हुए खेल मंत्री बनाया। अब हमने लक्ष्य तय किया है और इसके अच्छे परिणाम आएंगे।
बता दें कि खेल मंत्री किरेन रिजीजू खो-खो प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ मशाल जला कर किया। इसमें देशभर से 150 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। इस मौके पर क्रिकेटर सुरेश रैना, मोहम्मद शमी और ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार भी मौजूद रहे।
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