Haryana News: गानों के जरिए सामाजिक बुराईयों को दूर करने का संदेश दे रहे गब्बी गुर्जर,इन गानों ने मचाई धूम
Faridabad News गब्बी ने बताया कि उन्होंने मिरैकल चैरिटेबल सोसायटी का दौरा किया था। यह सोसायटी बेसहारा छोड़े गए बच्चों का पालन-पोषण करती है। वहां उन्हें इन बच्चों की पीड़ा को जानने का मौका मिला। इसलिए इस बुराई पर चोट करते हुए उन्होंने गाना तैयार किया।
फरीदाबाद [हरेंद्र नागर]। प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए इंटरनेट मीडिया ने कलाकारों को खुला आसमान दिया है। इस आसमान में ज्यादातर कलाकारों की कोशिश अधिक से अधिक लाइक और व्यूज बटोरकर प्रसिद्धि पाने की रहती है। उनकी कला का समाज पर क्या असर पड़ रहा है, इससे उन्हें सरोकार नहीं होता। पलवल गांव बड़ौली के रहने वाले जयप्रकाश उर्फ गब्बी गुर्जर लाइक और व्यूज की रेस से खुद को दूर रखे हुए हैं। वे लाइक और व्यूज पाने के लिए नहीं बल्कि समाज की बुुराईयों पर चोट करने के लिए गाने बनाते हैं। गब्बी यहां सेक्टर-31 गांव एतमादपुर में रहते हैं।
लाडो बेटी को मिले 10 लाख से ज्यादा व्यूज
लेखक, गायक और एक्टर गब्बी का कहना है कि संगीत मनोरंजन के साथ ही सामाजिक जागरूकता का भी माध्यम है। गानों का युवाओं के ऊपर गहरा असर होता है। अपने पसंदीदा कलाकार को स्क्रीन पर एक्टिंग करते देख युवा भी उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं।
इसलिए वे ऐसे गाने बनाते हैं, जिनमें कोई संदेश छिपा हो और समाज पर सकारात्मक असर हो। हाल ही में उनका लाडो बेटी गाना खूब पसंद किया जा रहा है। इस गाने में उन्होंने उस बेटी की व्यथा को उभारा है जिसे पैदा होते ही उसके माता-पिता बेसहारा छोड़ देते हैं।
फरीदाबाद जिले में भी यह बड़ी समस्या है। गब्बी ने बताया कि उन्होंने मिरैकल चैरिटेबल सोसायटी का दौरा किया था। यह सोसायटी बेसहारा छोड़े गए बच्चों का पालन-पोषण करती है। वहां उन्हें इन बच्चों की पीड़ा को जानने का मौका मिला। इसलिए इस बुराई पर चोट करते हुए उन्होंने गाना तैयार किया। यू-ट्यूब पर इस गाने के 10 लाख से ज्यादा व्यूज हो चुके हैं। गब्बी इसका दूसरा पार्ट भी तैयार कर रहे हैं। इसमें वे दिखाएंगे कि किस तरह बेसहारा छोड़ी गई बच्ची प्रशासन के सहयोग से ऊंची पोस्ट पर पहुंचती है।
गानों में जातिवाद का विरोध करते हैं
गानों में जातिवाद का चलन भी बहुत बढ़ा है। कई गायकों ने योद्धाओं और क्रांतिकारियों को भी जातियों में बांट दिया है। उन्होंने एक ऐसा गाना तैयार किया है, जिसमें सभी जातियों के योद्धाओं का गुणगान है। साथ ही यह बताया है कि योद्धा और क्रांतिकारियों की कोई जाति नहीं होती।
पिछले दिनों पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद गानों में बढ़ते गनकल्चर को लेकर बहस छिड़ी थी। हरियाणा के भी कई कलाकार अपने गानों में गैंगस्टरों का गुणगान करते हैं। गब्बी इसका विरोध करते हैं।