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मुंबई के ताज होटल में कमांडो फिरेचंद ने दिया था शौर्य का परिचय, मिशन पर जाने से पहले पत्नी को कुछ इस तरह समझाया था

Mumbai Terrorist Attack 2008 कमांडो फिरेचंद ने मुंबई रवाना होने से पहले पत्नी से कहा कि मुझे कुछ हो जाए तो गम न करना हमेशा खुश रहना। आज देश पर हमला हुआ है आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 04:52 PM (IST)Updated: Sat, 14 Aug 2021 05:21 PM (IST)
मुंबई के ताज होटल में कमांडो फिरेचंद ने दिया था शौर्य का परिचय, मिशन पर जाने से पहले पत्नी को कुछ इस तरह समझाया था
एनएसजी कमांडो जसाना गांव निवासी फिरेचंद नागर। फाइल फोटो

फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। मुझे कुछ हो जाए तो गम न करना, हमेशा खुश रहना। आज देश पर हमला हुआ है, आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना है। मेरा सौभाग्य है कि धरती मां की रक्षा के लिए मुझे वहां जाने का मौका मिला है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई के होटल ताज में घुसे आतंकियों के खिलाफ आपरेशन में जब एनएसजी कमांडो जसाना गांव निवासी फिरेचंद नागर को जाने के आदेश मिले, तो उन्होंने पत्नी रोशनी देवी को इस तरह समझाया था। फिरेचंद उस समय मानेसर में तैनात थे, पत्नी और बच्चे भी साथ ही रह रहे थे। आतंकवादी हमले की बात सुनकर वे चिंतित हो गए थे, मगर फिरेचंद ने उन्हें समझाया और मिशन की ओर रवाना हो गए।

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जान की परवाह किए बिना टूट पड़े थे आतंकियों पर

नागर बताते हैं कि 26 नवंबर 2008 की वो रात हम कभी नहीं भूल सकते। मानेसर में तैनात थे तो अचानक जानकारी मिली कि मुंबई के ताज होटल में आतंकी घुस गए हैं और वहां मौजूद कितने ही लोगों को बंधक बना लिया है। मुठभेड़ में कई अफसर शहीद भी हो गए हैं। हम तुरंत अलर्ट हो गए।

 अफसरों ने हमसे कहा कि आज हम सबके पास पास सुनहरा अवसर है, अपनी बहादुरी दिखाने के लिए। आपरेशन के लिए तैयार हो जाओ। इसके बाद कुछ ही देर में हम ताज होटल के लिए रवाना हो गए। देर रात होटल ताज पहुंचे। अंदर से लगातार गोलियां चल रही थीं। जान की परवाह किए बिना हम आगे बढ़ रहे थे, कई जगह घुप्प अंधेरा था।

 आतंकियों के पास ग्रेनेड के साथ एके-47 राइफल थीं। कुछ कमांडो छत से तो कुछ मुख्य द्वार से घुसे। एक-एक कमरे को चेक करना शुरू किया। हमारा सबसे पहला काम होटल में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना और बाद में आतंकियों को सबक सिखाना था। हम भी गोलियों का जवाब गोली से दे रहे थे। अचानक मुङो एक गोली चलने के बाद उसकी चिंगारी दिखाई दिया।

मैंने उसी तरफ कई राउंड फायर किए। दूसरी ओर से बाकी आतंकियों ने मुझे निशाना बनाकर तड़ातड़ फायर कर दिए। एक गोली मेरे पैर को भेदती हुई निकल गई। पैर से निकला खून जैसे ही बहना शुरू हुआ तो मेरे शरीर ने मूवमेंट किया।

मुझे आभास हुआ कि अभी जिंदा हूं। हिम्मत नहीं हारी और खड़ा होकर आतंकियों की दिशा में दनादन गोलियां बरसाता रहा। लेकिन जब साथियों को पता लगा तो मुझे वहां से अलग करके अस्पताल पहुंचाया। इसकी सूचना अपने घर नहीं दी थी, क्योंकि वह चिंतित हो जाते। बार-बार पत्नी के पूछे जाने पर इतना कहा मेरे पैर में मोच आई है। बाद में एक न्यूज चैनल की खबर से पत्नी को पता लग गया था। आज भी उस मंजर को याद करता हूं तो सब कुछ आंखों के सामने तैर जाता है। ऐसा लगता है जैसे सब अभी-अभी हुआ हो। फिरे चंद की इस जांबाजी को सलाम करते हुए विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी आयोजनों में उन्हें सम्मानित भी किया गया।


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