70 साल की उम्र में एचसी गर्ग बना रहे एक के बाद एक रिकॉर्ड, खूबियां जान आप भी करेंगे 'वाह'
एचसी गर्ग के नाम इससे पहले कपालभाती गर्भासन मत्स्यताड़ आसन और तुला आसन में भी गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड है।
फरीदाबाद [प्रवीन कौशिक]। यदि किसी काम काे करने की लगन हो तो उम्र आड़े नहीं आती। यह कर दिखाया है फरीदाबाद के रहने वाले एचसी गर्ग ने। वह 70 साल की उम्र में भी एक के बाद एक रिकॉर्ड अपने नाम किए जा रहे हैं। गोल्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में छह बार इनका नाम दर्ज हो चुका है।
बात चाहे पर्यावरण संरक्षण की हो या फिर योग की। दोनों में ही गर्ग खूब भागीदारी कर रहे हैं। सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले गर्ग इतनी उम्र होने के बाद भी बिल्कुल फिट रहते हैं।
कूड़े में तलाश लिया गोल्ड
सेक्टर-सात निवासी एवं हुडा मार्केट एसोसिएशन के प्रधान एचसी गर्ग बताते हैं कि कुछ महीने पहले सेक्टर-7 की हुडा मार्केट में, जहां सरकारी जमीन पर कूड़ा पड़ा रहता था। यहां से उठने वाली बदबू मार्केट के दुकानदारों, आते जाते लोगों के लिए यह परेशानी का सबब बनी हुई थी। इससे वह काफी परेशान थे। बाकी लोगों की तरह चुपचाप देखने और सहन करने की बजाय उन्होंने इस स्थल को हराभरा करने की ठान ली। उन्होंने जगह को साफ करवाया, चहारदीवारी करवाई और दोनों ओर गेट लगवा इसे हराभरा करने की कवायद शुरू की गई। इन सब पर उनके एक लाख तो जरूर खर्च हो गए, पर आज यहां हर ओर हरियाली दिखाई देती है, वहीं औषधीय फूल-पत्तों से लोग स्वास्थ्य लाभ भी ले रहे हैं।
अब पार्क में नीम, बड़, पीपल, गेंदा, चंपा, छुई-मुई, अर्जुन, एलोबिरा, गुड़हल, कदम, तुलसी सहित अन्य दर्जनों पेड़-पौधे हैं। इस बगिया की एक और खास बात यह रही कि यहां सात फुट दो ईंच के गेंदे के फूल के कई पौधे भी हैं। जब इस बारे में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को जानकारी दी गई तो एक और रिकॉर्ड गर्ग के नाम आ गया। साथ ही इन्होंने तुलसी का भी इसी बगिया में तुलसी का पौधा 7 फुट 5 ईंच उगाया गया था। इस पर भी इनके नाम रिकॉर्ड रहा।
योग में कमाए चार रिकॉर्ड
एचसी गर्ग के नाम इससे पहले कपालभाती, गर्भासन, मत्स्यताड़ आसन और तुला आसन में भी गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड है। वह अक्सर योगा की कक्षाओं के लिए बाहर जाते रहते हैं। जेलों में भी कैदियों को योगासन सिखाते हैं।
मां की याद में बनाया संग्रहालय
गर्ग ने सेक्टर-7 में ही मां स्मृति संग्रहालय बनाया हुआ है। इसमें ऐसी माताओं की फोटो रखी जा रही हैं जो अब दुनिया में नहीं हैं, साथ ही इस संग्रहालय की मदद से ऐसी माताओं की हर साल उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि उन्हें याद करना शुरू कर दिया है। गर्ग बताते हैं कि उनके पास अब मां नहीं है, पर उनकी यादें हैं। बस यहीं से सोचा कि मां ताे मां होती है, क्या तेरी-क्या मेरी। इसलिए सभी माताओं को याद करने के लिए पहली बार इस तरह की सराहनीय व यादगार पहल की है।
उन्होंने एक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत देश-विदेश में रहने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों व अन्य परिचितों से संपर्क कर रहे हैं जिनकी मां अब दुनिया में नहीं रही हैं। उनसे फोन पर संपर्क कर स्वर्गीय मां की फोटो, उनकी पुण्यतिथि की तारीख पता की जा रही है। माता की फोटो संग्राहलय की दीवार पर लगा दी जाती है। इसके बाद जब किसी माता की पुण्यतिथि आएगी तो उस दिन इनके परिजनों को संग्रहालय बुलाया जाएगा और श्रद्धांजलि सभा द्वारा मां को याद किया जाता है।
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