Move to Jagran APP

हरियाणा में किसान ने किया कमाल, ठंडे इलाके में पैदा होने वाले बादाम व सेब की 45 डिग्री तापमान में खेती

नरेश सारंग ने शुष्क प्रदेश हरियाणा के 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले औद्योगिक जिले में सेब और बादाम की खेती करने में सफलता हासिल की है। दसवीं कक्षा तक पढ़े किसान नरेश के परिवार का भरण-पोषण खेती से ही होता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 06:11 PM (IST)
हरियाणा में किसान ने किया कमाल, ठंडे इलाके में पैदा होने वाले बादाम व सेब की 45 डिग्री तापमान में खेती
गांव साहूपुरा के नरेश सारंग अपने बाग में लगे बादाम को दिखाते हुए।

बल्लभगढ़ [सुभाष डागर]। पिता ने कुछ अलग करने की चुनौती दे दी हो, स्वयं भी कुछ करने का जुनून हो, मेहनत में कोई कमी न हो तो प्रकृति भी साथ दे देती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गांव साहुपुरा के प्रगतिशील किसान नरेश सारंग ने। नरेश सारंग ने शुष्क प्रदेश हरियाणा के 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले औद्योगिक जिले में सेब और बादाम की खेती करने में सफलता हासिल की है। आपको हैरानी हो सकती है कि सेब के बाग तो हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे ठंडे प्रदेशों में होते हैं, अपने यहां तो इसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन नरेश सारंग ने इसके बारे में न सिर्फ सोचा बल्कि उस सोच को अमलीजामा पहनाने की दिशा में गंभीरता से जुट गए। आज उनके एक एकड़ के बाग में सेब और बादाम पेड़ों पर लदे हैैं और वह जून-जुलाई में पहली फसल लेने की तैयारी में हैं।

loksabha election banner

दसवीं कक्षा तक पढ़े किसान नरेश के परिवार का भरण-पोषण खेती से ही होता है। वह हर मौसमी सब्जी अपने खेत में पैदा करते हैं। चार बार गांव के सरपंच रह चुके उनके पिता प्रताप सिंह सारंग ने एक दिन नरेश को प्रेरित करने के लिहाज से कहा कि सामान्य व परंपरागत खेती तो बहुत हो गई, अब कुछ अलग करके दिखाओ तो बात बने। नरेश ने पिता के शब्दों को चुनौती के रूप में लिया और इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने यूट्यूब पर खोजबीन शुरू की, तो गर्मी के मौसम में करनाल के राणा फार्म में सेब पैदा करने के बारे में जानकारी मिली।

नरेश कुमार के अनुसार, करनाल और फरीदाबाद का मौसम तो लगभग एक जैसा ही होता है। इसका मतलब अपने खेत में भी सेब पैदा किए जा सकते हैं। ये सोच कर करनाल गए और सेब की फसल के लिए हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में रहने वाले हरिमन शर्मा का नंबर लिया। तीन वर्ष पहले हरिमन शर्मा से मिले और उन्हें अपनी इच्छा बताई। हरिमन ने वर्ष 1999 में अपने नाम से सेब की किस्म तैयार की थी। नरेश वहां से 60 रुपये प्रति पौध की दर से सेब की 161 पौध लेकर आए। साथ ही बादाम के सात पौधे करनाल राणा फार्म से लेकर आए। उन्होंने एक एकड़ के बाग में सेब और बादाम के पौधे रोप दिए। अब इन तीन वर्ष में बाग में सेब के 115 पेड़ फल-फूल गए हैं। जबकि बादाम के चार पौधों पर कच्चे बादाम आ गए हैं। उन्होंने अपने बाग में थाई सेब नाम से बेर के 20 पौधे भी लगाए हैं। तीन वर्ष में इस तरह की खेती पर वह करीब तीन लाख रुपये खर्च कर चुके हैं।


(गांव साहूपुरा के नरेश सारंग के बाग में लगी सेब की फसल। जागरण)

हरिमन से लेते हैं राय

बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार सेब के पौधों के भरपूर विकास के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पौधे के विकास के लिए सबसे अच्छा वातावरण रहता है और पेड़ पर सेब के फलों के पकने के दौरान सात डिग्री तापमान सबसे उचित रहता है। इस बारे में नरेश कहते हैैं कि हरिमन शर्मा ने ही शुष्क मौसम में होने वाले सेब की इस प्रजाति को तैयार किया जिसकी फसल 45 डिग्री तापमान में भी तैयार हो सकती है। पेड़ों पर लगे सेब आपके सामने हैं। फसल को बीमारी से बचाने में लिए दवा, खाद के बारे में हरिमन से राय लेते हैं। बाग में ज्यादातर जैविक खाद डालते हैं। उनके यहां का पानी मीठा है, जिससे फलदार पौधे आसानी लग जाते हैं। खास बात यह है कि नरेश डबल लेयर खेती कर रहे हैैं। ऊपर फलों का उत्पादन करने के साथ जमीन के नीचे प्याज की फसल भी उगाते हैैं। प्याज के बाद मूंगफली की फसल लगाने वाले हैं।

जल्द लेंगे पहली फसल

नरेश के अनुसार अगले माह जून अथवा जुलाई में सेब की पहली फसल ले लेंगे। इससे उन्हें डेढ़ लाख रुपये आय होने की उम्मीद है। एक बार पेड़ लग गए हैं तो हर वर्ष एक निश्चित आमदनी होगी। नरेश के बाग को देखने के लिए फरीदाबाद-पलवल जिले के अन्य किसान भी आ रहे हैं। नरेश उन्हें भी ऐसी खेती करने को प्रेरित करते हैं, ताकि किसान परंपरागत खेती को छोड़ व्यवसायिक फसलों का उत्पादन करें और किसान की आय को दोगुना करने का प्रधानमंत्री के सपने को साकार कर सकें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.