लाकडाउन ने पूरा कर दिया एमएल चावला का किताब लिखने का सपना
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बुजुर्गों को तो अभी भी घर से बाहर न निकलने की सलाह देते हैं। लाकडाउन में यह एक बड़ी चुनौती थी पर इस चुनौती को सुअवसर में बदला 83 वर्षीय बुजुर्ग सेक्टर-15 निवासी मनोहर लाल चावला ने। इन्होंने किताब लिख डाली।
फरीदाबाद, सुशील भाटिया। कोविड-19 काल में हुए लाकडाउन में जब उद्योग-कारोबार सब बंद था, स्कूल- कॉलेज अब भी बंद हैं, तो कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोगों को घरों में ही कैद होकर रहना पड़ा। इस दौरान ऐसे कई मामले सामने आए, जब घर में लंबे समय से रह रहे लोग डिप्रेशन का शिकार हो गए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बुजुर्गों को तो अभी भी घर से बाहर न निकलने की सलाह देते हैं। लाकडाउन में यह एक बड़ी चुनौती थी, पर इस चुनौती को सुअवसर में बदला 83 वर्षीय बुजुर्ग सेक्टर-15 निवासी मनोहर लाल चावला ने। केंद्र सरकार में इलेक्ट्रानिक्स और सूचना तकनीक विभाग में विशेष सचिव ज्योति अरोड़ा ने जूम एप के जरिए किताब का विमोचन किया।
हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड से 1995 मेें तकनीकी सदस्य के पद से सेवानिवृत्त चावला ने सुंदर व ज्ञानवर्धक किताब की रचना कर डाली। फाइव एफ आफ माई लाइफ के जरिए चुनौतियों व सफलाताओं का वर्णन बुजुर्ग चावला द्वारा लिखी किताब फाइव एफ आफ माई लाइफ का शनिवार को सेक्टर-15 में आयोजित एक कार्यक्रम में विमोचन हुआ। कोविड-19 के चलते विमोचन कार्यक्रम में स्वजन व सीमित संख्या में नजदीकी मित्र शामिल हुए। बाकी देश-विदेश सहित अमेरिका से उनके भाई डा.सुरेंद्र चावला सहित 93 लोग जूम एप के जरिए इस कार्यक्रम से जुड़े।
लेखक एमएल चावला ने पिता दरया दत्ता चावला व माता पार्बती देवी को समर्पित किताब में जीवन में सफलता की राह में आई चुनौतियों, लक्ष्य प्राप्ति, विश्वास, परिवार व मित्रों के सहयोग का फाइव एफ आफ माई लाइफ यानी फेस, फोकस, फेद, फेमिली और फ्रेंडस के जरिए विस्तृत वर्णन किया है। एमएल चावला के भाई महाराज किशन चावला दिल्ली हाईकोर्ट के प्रसिद्ध जज रहे हैं, जो गीता-संजय चोपड़ा के हत्यारों रंगा-बिल्ला, इंदिरा गांधी हत्याकांड की सुनवाई व बोफोर्स मामले की सुनवाई से जुड़े रहे हैं। एमएल चावला ने इस किताब बड़े भाई का भी जिक्र किया है।
दैनिक जागरण से बातचीत में लेखक ने कहा कि जब 1995 में बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए, तभी उन्होंने किताब लिखने की सोची थी, पर यह मन में ही रह गई। बाद के वर्षों में फिर ऐसा ख्याल आया, पर सोच को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। अब जब लाकडाउन हुआ, तो पूरा परिवार लंबे समय तक एक साथ रहा। इस दौरान फिर किताब लिखने की मन में आई और उठा लिया पेन और कागज। बस लिखते चले गए।
पौत्र यक्ष ने की सहयोग की शुरुआत
9 वर्ष के पौत्र यक्ष ने दादा को कुछ लिखते हुए देखा, तो जिज्ञासावश पूछ लिया। पुस्तक के बारे में बताने के बाद यक्ष ने दादा जी के लिखे शब्दों को लैपटाप में संजोना शुरू कर दिया। बाद में एमएल चावला के पुत्र अमित चावला ने संपादन कर इसे पुस्तक का रूप देने में मदद की और अब यह प्रकाशित होकर आ गई है। उम्र के साथ जीवन को जीने की कला और उससे आनंद की अनुभूति होना, इस पुस्तक की विशेषता है।
विमोचन के मौके पर कार्यक्रम का संचालन उनकी पुत्रवधू दीपिका व ईशा चावला ने किया, साथ दिया उनकी धर्मपत्नी लता चावला और पुत्रों अमित व पुनीत चावला ने। जूम एप के जरिए यूएसए से उनके अनुज डा.सुरेंद्र चावला सहित चीन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड से और अपने देश में दिल्ली, पंजाब, हैदराबाद, बेंगलुरू से लोग जुड़े। इस अवसर पर देवेंद्र चौहान, दृष्टि, अभिनव चावला, आन्या, सुधा एवं हर्ष मल्होत्रा, सुभाष चंद्र धवन मौजूद थे।
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