स्वस्थ समाज : प्लाज्मा देकर जिंदगी के बुझते दीयों को रोशन करने की कोशिश
मोहित सिक्का सौमिल भाटिया पुनीत अरोड़ा ब्रिज अरोड़ा मनोज वधवा राजेश भल्ला अमित शर्मा यह शहर के उन नेक दिल इंसानों के नाम हैं जो प्लाज्मा दान कर किसी गैर की बुझती जिंदगी के दीपक को फिर से रोशन करने के प्रयासों में जुटे हैं।
फरीदाबाद [ सुशील भाटिया]। मोहित सिक्का, सौमिल भाटिया, पुनीत अरोड़ा, ब्रिज अरोड़ा, मनोज वधवा, राजेश भल्ला, अमित शर्मा यह शहर के उन नेक दिल इंसानों के नाम हैं, जो प्लाज्मा दान कर किसी गैर की बुझती जिंदगी के दीपक को फिर से रोशन करने के प्रयासों में जुटे हैं। प्लाज्मा दान के लिए वक्त निकालते समय यह सब अपनी नौकरी व कारोबार से जुड़े जरूरी कार्यों को भी पीछे छोड़ रहे हैं। मौजूदा समय में उनकी पहली प्राथमिकता किसी शख्स की जान बचाना है।
बल्लभगढ़ के चावला कालोनी निवासी मोहित सिक्का ने प्लाज्मा दान करने से जुड़े अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद प्लाज्मा देने की चाहत थी। प्लाज्मा बैंक के समन्वयक उमेश अरोड़ा से 2-3 दिन से बात चल रही थी। उमेश अरोड़ा ने कार्यालय से ही प्लाज्मा के लिए जरूरी एंटी बाडी चेक करने के मकसद से ब्लड सैंपल लेने का इंतजाम कर दिया और जब अगले दिन रिपोर्ट ओके आ गई, तो उनमें बेहद रोमांच था प्लाज्मा देने का। और जब डेरा संत भगत सिंह स्थित ब्लड बैंक में प्लाज्मा दान करने को पहुंचे, तो वहां करीब 16-17 वर्ष की एक लड़की रोती हुई मिली। उसके पिता दुनिया में नहीं है, जबकि कोरोना से पीड़ित मां के लिए प्लाज्मा चाहिए था।
परिवार में और कोई नहीं था। आगे एक और परिवार के दो सदस्य बैठे थे। तभी एक 60 वर्ष के सीनियर सिटीजन उनके पास आए, जिन्होंने अपना दुखड़ा रोया कि उनके 87 वर्षीय पिता को प्लाज्मा की जरूरत है। रात भर सोये भी नहीं हैं कि अगली सुबह प्लाज्मा दिलाने का उमेश अरोड़ा ने भरोसा दिलाया था। इन सबके पास डोनर रिप्लेसमेंट का भी कोई जुगाड़ नहीं था। मोहित सिक्का के अनुसार उनके द्वारा दिए गए प्लाज्मा की एक-एक यूनिट दोनों को मिल गई। उम्मीद करता हूं कि इससे इन लोगों के जीवन में खुशियां लौट आई होंगी। बकौल मोहित सिक्का, यह उनकी जिंदगी के सबसे अहम व महत्वपूर्ण पल हैं, क्योंकि उन्हें किसी की जान बचाने में अपना योगदान देने का मौका मिला है। सभी सक्षम लोगोें को प्लाज्मा दान करने को आगे आना चाहिए।
एनआइटी निवासी 31 वर्षीय ट्रांसपोर्टर सौमिल भाटिया एक बार ईएसआइसी मेडिकल कालेज में, तीन बार डेरा संत भगत सिंह ब्लड बैंक और एक बार एशियन अस्पताल में प्लाज्मा दान कर चुके हैं। सौमिल ने कहा कि उन्हें इंसानियत की सेवा करने की प्रेरणा अपने चाचा राकेश भाटिया से मिली है, जो हर समय जरूरतमंदों की सेवा में आगे रहते हैं। कोरोना से ठीक होने के बाद अब उन्हें मौका मिला है, तो पीछे नहीं हट रहे।
इसी तरह के अनुभव पुनीत अरोड़ा और ब्रिज अरोड़ा तीन-तीन बार, मनोज वधवा दो बार, राजेश भल्ला व अमित शर्मा एक-एक बार प्लाज्मा दान कर चुके हैं। इन सभी ने कहा कि जब तक एंटी बाडी बनती रहेगी, प्लाज्मा देते रहेंगे।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो