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Faridabad MCD Budget 2021: हंगामे के बीच सर्वसम्मति से बजट पास, जानिए कहां कितने होंगे खर्च

बैठक में जो लेखा-जोखा रखा गया उसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अनुमानित आय 2576 करोड़ 67 लाख रुपये दर्शायी गई है जबकि अनुमानित व्यय 2593 करोड़ 93 लाख रुपये दिखाया गया है। इसके अलावा नए वित्तीय वर्ष का ओपनिंग बैलेंस 80 करोड़ 82 लाख रुपये दिखाया गया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 09:43 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 09:43 PM (IST)
Faridabad MCD Budget 2021: हंगामे के बीच सर्वसम्मति से बजट पास, जानिए कहां कितने होंगे खर्च
वर्ष 2021-22 का 2593 करोड़ रुपये का बजट घाटे का है

 फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। नगर निगम की बहुप्रतीक्षित बजट बैठक सोमवार को जिला मुख्यालय में हुई। निगम आयुक्त की ओर से बजट की जो प्रतियां पार्षदों को वितरित की गई, उस पर नजर डालने और गहराई से पढ़ने के बाद सदन के सदस्यों ने खूब आंखें तरेरी। बजट में झोल होने के आरोप लगे, पार्षद ने प्रतियां फाड़ दी, वाकआउट और इस्तीफे के दौर भी चले और अंतत: दो करोड़ रुपये के विकास कार्य प्रत्येक वार्ड होने का आश्वासन देने के साथ सर्वसम्मति से बजट पास कर दिया गया। वर्ष 2021-22 का 2593 करोड़ रुपये का बजट घाटे का है और इसमें भी शहर के विकास के लिए आय के साधन जुटाने से ज्यादा खर्चे पर जोर दिया गया है।

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महापौर सुमन बाला की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में निगमायुक्त का अतिरिक्त रूप से कार्यभार संभाल रहे जिला उपायुक्त यशपाल यादव, वरिष्ठ उपमहापौर देवेंद्र चौधरी व उपमहापौर मनमोहन गर्ग विपक्षी पार्षदों की ओर से बजट के विरोध वाले तीरों को झेल रहे थे और बचाव के साथ जवाब भी देते नजर आए। कोरम पूरा था और बैठक में पदेन सदस्य के रूप में विधायक नीरज शर्मा भी मौजूद थे।

बैठक में जो लेखा-जोखा रखा गया, उसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अनुमानित आय 2576 करोड़ 67 लाख रुपये दर्शायी गई है, जबकि अनुमानित व्यय 2593 करोड़ 93 लाख रुपये दिखाया गया है। इसके अलावा नए वित्तीय वर्ष का ओपनिंग बैलेंस 80 करोड़ 82 लाख रुपये दिखाया गया है, जबकि क्लोजिंग बैलेंस 63 करोड़ 57 लाख रुपये दर्शाया गया है।

जयवीर खटाना ने दिया इस्तीफा, महापौर ने मनाया

बजट पर चर्चा के दौरान वार्ड नंबर-3 के पार्षद जयवीर खटाना सबसे ज्यादा मुखर होकर बोले। उन्होंने कहा कि क्या कोई अधिकारी यह बता सकता है कि वो बजट पढ़ कर आए हैं और उन्हें पूरा ज्ञान है। आय के लिए क्या किया जा रहा है। निगम की जमीन बेचने के लिए नीलामी आयोजित की गई थी, तो फिर उसे आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया। जयवीर ने अपने वार्ड में सीवर की बदहाली का मुद्दा भी उठाया। इस पर निगमायुक्त ने उन्हें टोका कि वो प्रत्येक अधिकारी की योग्यता पर सवाल नहीं खड़े कर सकते, उन्हें सम्मानजनक तरीके से अपनी बात रखनी चाहिए। इस पर जयवीर बिफर पड़े और कहा कि जब उन्हें बोलने ही नहीं दिया जाता, तो फिर ऐसी बैठक का क्या फायदा। इसलिए वो इस्तीफा देते हैं। यह कह कर वो जाने लगे, तो साथी पार्षद जितेंद्र यादव व महापौर अपनी सीट से उठ कर उन तक पहुंचे और किसी तरह से उन्हें मना कर वापस सीट पर बैठाया।

खैर बाद में निगमायुक्त ने कहा कि अगर कुछ अधिकारियों ने गलत किया है, तो उसे ठीक किया जाएगा, पर इसके लिए समय तो चाहिए। उन्होंने आश्वासन भी दिया कि अब हर महीने पार्षदों के साथ नियमित बैठक होगी। इसी मकसद से तो उन्होंने सभी पार्षदों को डिनर बैठक पर बुलाया था, पर इसे बजट बैठक से जोड़ दिया गया।

कुलबीर तेवतिया ने प्रतियां फाड़ जताया विरोध

बैठक में उस समय पूरा माहौल गर्मा गया, जब वार्ड 34 के पार्षद कुलबीर तेवतिया ने यह कहते हुए बजट की प्रतियां फाड़ दी कि उनके क्षेत्र में 70 फीसद तक पेयजल की लाइन का काम पूरा हो चुका है, पर पिछले एक साल से बकाया 30 फीसद काम पूरा करने के लिए पाइप मांग रहे हैं, पर ठेकेदार को पाइप उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। इसी तरह से हाउसिंग बोर्ड कालोनी में सीवर लाइन डाली गई, पर सड़क नहीं बनी। लोग घायल हो रहे हैं, अधिकारी सुनते नहीं। यह बात कहते हुए उन्होंने बजट की प्रतियां फाड़ कर फेंक दी।

571 करोड़ रुपये वेतन और सुख-सुविधाओं पर होंगे खर्च

अब जो व्यय दिखाया गया है, उसमें 571 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन पर, प्रशासनिक खर्चे, वकीलों की फीस, आडिट, मेडिकल बिलों की अदायगी, नए वाहनों की खरीद और पुरानों की मरम्मत, एलआइसी, एनसीआरपीबी, हुडको से लिए गए ऋण चुकाने पपर खर्च होंगे। यह कुल आय का 22 फीसद से अधिक बैठता है।

शौचालय निर्माण में घोटाला पर घिरे अधिकारी

बैठक की शुरुआत में ही वार्ड-26 के पार्षद अजय बैसला ने पिछले दिनों स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्थापित शौचालयों के निर्माण में अनियमितताओं पर अधिकारियों को घेरा। उन्होंने कहा कि महापौर ने करोड़ों रुपये से बने शौचालयों की दुर्दशा पर अधिकारियों से जवाब तलबी की, तो अधिकारी खीझ जाते हैं। केंद्र सरकार के तहत यह राशि जारी हुई और इसका दुरुपयोग हुआ। शौचालयों में पानी के कनेक्शन तक नहीं। एक तरह से बंदरबांट हुआ। यह बड़ा घोटाला है और इसकी पारदर्शिता के साथ जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।


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