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फरीदाबादः 70 साल में पहली बार नहीं मनाया गया एनआइटी का दशहरा उत्सव, कोरोना नहीं ये है वजह

Dussehra 2020 जोगेंद्र चावला ने एसडीएम की ओर से उत्सव आयोजन की अनुमति का पत्र भी दिखाया। इधर शाम को सहायक पुलिस आयुक्त गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल दशहरा मैदान में पहुंचा और सारे प्रवेश द्वार आम जनता के लिए बंद करवा दिए।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:52 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:52 PM (IST)
फरीदाबादः 70 साल में पहली बार नहीं मनाया गया एनआइटी का दशहरा उत्सव, कोरोना नहीं ये है वजह
फरीदाबाद एनआइटी का प्रसिद्ध दशहरा ग्राउंडः जागरण

फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। एनआइटी का प्रसिद्ध दशहरा 70 वर्षों में पहली बार नहीं मनाया जा सका। पिछले कुछ वर्षों से दशहरा आयोजन का अधिकार हासिल करने को लेकर दो पक्षों में विवाद चला आ रहा था, पर रावण, मेघनाद व कुंभकरण के पुतलों का दहन अवश्य होता था। वर्ष 2017 में तो विवाद इतना बढ़ गया था कि तत्कालीन जिला उपायुक्त समीरपाल सरो के आग्रह पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सारे पूर्व नियोजित कार्यक्रम छोड़ कर मुख्य अतिथि के रूप में एनआइटी के दशहरा मैदान में आना पड़ा था। खैर इस बार उक्त विवाद के साथ-साथ कोरोना ने भी दशहरा उत्सव के आयोजन पर ग्रहण लगा दिया।

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राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निर्मूलन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनंदकांत भाटिया ने प्रशासन से फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को दशहरा उत्सव की आयोजन अनुमति न देने का आग्रह किया था। उन्होंने संगठन पर अनियमितताओं के आरोप लगा थे। वहीं संगठन के प्रधान जोगेंद्र चावला ने कोरोना से बचाव के उपायों के साथ प्रतीकात्मक तौर पर रावण के एक पुतले के साथ दहन की तैयारी की थी और आयोजन एनआइटी मैदान की बजाय मालवीय वाटिका में करने की बात कही थी।

जोगेंद्र चावला ने एसडीएम की ओर से उत्सव आयोजन की अनुमति का पत्र भी दिखाया। इधर शाम को सहायक पुलिस आयुक्त गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल दशहरा मैदान में पहुंचा और सारे प्रवेश द्वार आम जनता के लिए बंद करवा दिए। पुलिस अधिकारियों ने संगठन प्रधान को रावण के पुतले का दहन न करने और इसे हटाने के लिए कहा। प्रधान जोगेंद्र चावला ने एसडीएम का पत्र दिखाया, पर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इसमें रावण दहन की बात नहीं लिखी, इसलिए पुतले का दहन नहीं करने देंगे। प्रधान ने अपने तर्क दिए, पर पुलिस नहीं मानी और आखिरकार पुतले को हटाना पड़ा।

जोगेंद्र चावला के अनुसार उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए सभी के लिए मास्क, आने वाले प्रत्येक शख्स का तापमान जांचना और शारीरिक दूरी आदि के साथ सभी प्रबंध किए थे। मात्र 100 लोगों की सीमित संख्या के साथ प्रतीकात्मक आयोजन करना था, जिसको फेसबुक के जरिए शहरवासियों तक पहुंचाया जाता, पर पुलिस के अड़ियल रवैये के चलते ऐसा हो न सका। बाद में संगठन के तत्वावधान में श्री राधा सर्वेश्वर मंदिर के महंत मुनिराज के सानिध्य में प्रवचन कर कार्यक्रम की औपचारिकता निभाई। इस तरह एनआइटी के सात दशक के इतिहास में पहली बार रावण के पुतलों का दहन नहीं हो सका। इस बारे में सहायक पुलिस आयुक्त गजेंद्र सिंह ने कहा कि एसडीएम की ओर से अनुमति सिर्फ उत्सव की मिली है, इसमें कहीं नहीं लिखा कि पुतलों का दहन होना है। कोविड-19 महामारी और बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह सब ठीक नहीं।

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