कोच अमरीश ने कहा- मोबाइल फोन से दूरी और अनुशासन ने बनाया नीरज चोपड़ा को सोने सा खरा
नीरज के पास एक वर्ष से मोबाइल फोन नहीं था। देश विदेश से नीरज को बधाई देने के लिए फोन आ रहे थे और उसके नंबर मांग रहे थे लेकिन फोन नहीं होने की वजह से बात नहीं हो पा रही थी।
नई दिल्ली/फरीदाबाद [अभिषेक शर्मा]। टोक्यो ओलिंपिक में नीरज चोपड़ा की सफलता के पलों के साक्षी बनने वाले कैप्टन अमरीश अधाना ने कहा कि देश के इस लाडले ने चैंपियन बनने के लिए खुद को एक साल तक मोबाइल से दूर किया और अनुशासन में रह कर अभ्यास को प्राथमिकता दी, तभी स्वर्णिम गाथा लिखने में उसे कामयाबी मिली। रविवार की सुबह की टोक्यो से लौटे अमरीश अधाना शाम को ग्रेटर फरीदाबाद में अपने छोटे भाई समरवीर सिंह और तिगांव के विधायक राजेश नागर से मिलने आए थे। कैप्टन अमरीश भारतीय ओलिंपिक टीम के कोच थे। कैप्टन ने कहा कि आज के समय में मोबाइल के बिना इंसान एक पल भी नहीं रह सकता, पर नीरज ने ओलिंपिक में बेहतर प्रदर्शन की तैयारी के लिए मोबाइल रखना छोड़ दिया था। नीरज के पास एक वर्ष से मोबाइल फोन नहीं था। देश विदेश से नीरज को बधाई देने के लिए फोन आ रहे थे और उसके नंबर मांग रहे थे, लेकिन फोन नहीं होने की वजह से बात नहीं हो पा रही थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीरज से बात किसी अन्य के मोबाइल से कराई गई। नीरज ने हमेशा अनुशासन में रह कर कड़े अभ्यास को प्राथमिकता दी। कभी अनावश्यक छुट्टी नहीं ली। कैप्टन अमरीश ने कहा कि नीरज के पदक ने युवाओं में एक उम्मीद जगाई है और भाला फेंक के प्रति लोगों का रुझान बढ़ेगा और आने वाले समय में भाला फेंक में भारत की पूरी टीम होगी। कैप्टन ने पांच साल पहले के उन पलों को भी याद किया कि कैसे नीरज की सेना में भर्ती कराने का टास्क मिला था और महज चार घंटे में नीरज को सेना में शामिल करने में कामयाब रहे। गौरतलब है कि डेढ़ दशक बाद अभिनव बिंद्रा के बाद नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक हासिल किया है।