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हम समोसे बर्फी खाने नहीं आए हैं..

सुशील भाटिया, फरीदाबाद : बिना एजेंडे के बुलाई गई नगर निगम सदन की बैठक में सोमवार को जमकर हंगामा

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 08:44 PM (IST)
हम समोसे बर्फी खाने नहीं आए हैं..

सुशील भाटिया, फरीदाबाद : बिना एजेंडे के बुलाई गई नगर निगम सदन की बैठक में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। दैनिक जागरण ने इस बाबत पहले ही अंदेशा जताते हुए सोमवार को खबर प्रकाशित कर संकेत दे दिए थे। हुआ भी ठीक ऐसा, बस विषय बदल गया था। वैसे पार्षद अपने वार्ड के विकास के लिए सीएम घोषणा के अनुरूप दो-दो करोड़ रुपये न मिलने को लेकर खफा थे, पर बैठक में एनआइटी विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में पानी न आने को लेकर जमकर तकरार हुई और इसका नतीजा सदन की बैठक का 11 पार्षदों द्वारा बहिष्कार के रूप में सामने आया।

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महापौर सुमन बाला की अध्यक्षता में शुरू हुई बैठक में शुरू में ही निगमायुक्त मोहम्मद शाइन और चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर से एनआइटी के वार्डों में पेयजल आपूर्ति को लेकर किए जाने वाले प्रबंधों पर सवाल-जवाब शुरू हो गए। इसी दौरान चाय समोसे और बर्फी आ गई। यह देख कर वार्ड चार की पार्षद शीतल खटाना ने कहा कि वो यहां चाय पीने, समोसा-बर्फी खाने नहीं आए हैं। जनता उनके घर आकर दूषित पानी की बोतल रख कर गाली देकर जवाब देते हैं। उनके पति जयवीर खटाना ने कहा कि उन्हें जनता का सामना करना मुश्किल हो रहा है। उनका साथ दिया वार्ड नंबर पांच की पार्षद ललिता यादव ने 26 मार्च की पिछली बैठक में भी उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि जल्द समाधान होगा, पर कुछ नहीं हुआ। हमें दो-चार करोड़ रुपये से पहले वार्ड में पानी चाहिए। वार्ड नंबर सात के पार्षद बीर ¨सह नैन ने भी इन्हीं मुद्दों को उठाया। इन पार्षदों ने कहा कि पानी-सीवर का प्रबंध होता है, तो ठीक वरना हम जाते हैं।

इस दौरान निगमायुक्त व चीफ इंजीनियर किए जा रहे प्रयासों, रैनीवेल में पानी न होने, लाइनों से पानी चोरी होने की बात कहते रहे, साइट पर विजिट करने की बात कहते रहे, बीच में उपमहापौर मनमोहन गर्ग ने कहा कि अगर बीच में ही लाइन पंचर की जाती है, तो एफआइआर दर्ज होनी चाहिए।

इधर, बीच में वार्ड 26 के पार्षद अजय बैसला ने कहा कि अधिकारियों को दोष देना उचित नहीं, उनके वार्ड की इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में तीन दिन में बिगड़ी व्यवस्था ठीक कर दी गई। बस बैसला का यह कहना था, तो इससे तो पहले से तिलमिलाए उपरोक्त पार्षदों ने कहा कि इसका मतलब तो यही हुआ कि भेदभाव हो रहा है और सतारूढ़ व निर्दलीय मिलाकर 11 पार्षद कुर्सियां छोड़ कर बाहर आ गए।


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