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संशोधित : मन से निकाला डर और आशिमा बन गई आइएएस

सुशील भाटिया फरीदाबाद मेरी स्कूल जीवन से ही चाहत थी कि आइएएस अधिकारी बनूं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 07:01 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:13 PM (IST)
संशोधित : मन से निकाला डर और आशिमा बन गई आइएएस
संशोधित : मन से निकाला डर और आशिमा बन गई आइएएस

सुशील भाटिया, फरीदाबाद

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मेरी स्कूल जीवन से ही चाहत थी कि आइएएस अधिकारी बनूं। पर डर लगता था कि यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर पाऊंगी। जब 95 फीसद के साथ 12वीं की परीक्षा पास की तो आइआइटी दिल्ली में दाखिला हो गया। बीटेक-एमटेक के बाद मुंबई में एक बैंक में नौकरी करने लगी। इंजीनियरिग की पढ़ाई के दौरान ही कुछ साथियों ने यूपीएससी की परीक्षा पास भी कर ली थी, तो एक बार फिर मन में चाहत उत्पन्न हुई। मन को विश्वास दिलाया कि डर के आगे ही तो जीत है। बस तैयारी शुरू कर दी। अब नतीजा सबके सामने है। यूपीएससी की परीक्षा में 65वां स्थान हासिल करने वाली बल्लभगढ़ के विजय नगर निवासी, साइबर कैफे संचालक मित्रसेन की बेटी आशिमा गोयल ने कुछ इस अंदाज में अपने संघर्ष और सफलता के पीछे की कहानी बयां की। गोयल परिवार मूलरूप से नूंह जिले के पुन्हाना कस्बे का है। इस कारण आशिमा ने 12वीं तक की पढ़ाई श्री त्यागी माडर्न पब्लिक स्कूल होडल से की। वर्ष 2012 में बल्लभगढ़ आ गए, ताकि दिल्ली आने-जाने में आसानी रहे। आशिमा ने बताया कि पहली बार यूपीएससी की परीक्षा पहली बार में उत्तीर्ण इसलिए नहीं कर सकी कि बैंक की नौकरी के साथ ही यूपीएससी की तैयारी की थी। दोबारा बेहतर तैयारी के लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी। फिर हर हाल में आइएएस अधिकारी बनने के दृढ़ संकल्प के साथ दिन-रात कड़ी मेहनत की। आशिमा के अनुसार कोचिग इंस्टीट्यूट में जाने के बजाय सेल्फी स्टडी पर ज्यादा ध्यान दिया। जहां दिक्कत हुई, पेन-ड्राइव क्लासिज और यू-ट्यूब की मदद ली। किरन बेदी से हैं बेहद प्रभावित

आशिमा के अनुसार किरण बेदी का आचार-व्यवहार, अधीनस्थ अधिकारियों से काम लेने के तरीके और उनकी बात रखने का अंदाज उन्हें खूब प्रेरित करती हैं। कभी किरन बेदी से मिली तो नहीं, पर मिलने की खूब इच्छा है। अब शायद यह चाहत पूरी हो जाए।

हरियाणा या राजस्थान में काम करनी की इच्छा

आशिमा मानती हैं कि देश बदल रहा है, पर अभी धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव जैसी सामाजिक बुराईयों को दूर करने की बहुत गुंजाइश है। आशिमा अपने मूल राज्य हरियाणा अथवा राजस्थान में काम करने की इच्छुक हैं। बाकी जो भी कैडर मिलेगा वहीं जनता की भलाई के लिए काम करेंगी। आशिमा के अनुसार उनके पास जो भी जरूरतमंद आए, तो समय पर काम सुनिश्चित कराना प्राथमिकता होगी। वह जनता की नौकर बनकर काम करना चाहती है।


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