प्रदूषण ने बढ़ाई अस्थमा एवं हृदय रोगियों की परेशानी
दीपावली आने में तीन सप्ताह से अधिक समय है और जिले में अभी से ही प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है।
अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद : दीपावली आने में तीन सप्ताह से अधिक समय है और जिले में अभी से ही प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है। प्रदूषण की वजह से अस्पतालों में हृदय एवं सांस संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। हृदय एवं सांस रोगियों के लिए प्रदूषण के अलावा कोरोना संक्रमण भी परेशानी का सबब बन सकता है।
प्रत्येक वर्ष दीपावली के बाद से धुंध की चादर जिले में कई दिनों तक छाई रहती है। इससे सांस, हृदय, रक्तचाप, आंखों में जलन के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है। इस बार इन बीमारियों के मरीजों को कोरोना संक्रमण से भी खुद का बचाव करना होगा। धुंध में लोग को सांस लेने में परेशानी होती है। यह परेशानी अस्थमा का रूप ले लेती है। इसमें सांस लेने की परेशानी के अलावा खांसी, बलगम, एलर्जी की समस्या होती है। इसके अलावा स्वच्छ वातावरण नहीं होने पर हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है। इससे हृदयघात होने की आशंका रहती है। वहीं धुंध से उच्च रक्तचाप के मरीजों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। मौसम में बदलाव आने पर अस्थमा के मरीजों समस्याएं बढ़ जाती है। सांस की समस्या के मरीजों की संख्या एक सप्ताह से बढ़ने लगी है। इस बार अस्थमा के मरीजों को अपना विशेष ध्यान रखना होगा। मरीजों को प्रदूषण और कोरोना संक्रमण दोनों से बचाव करना है। अस्थमा के मरीजों के लिए कोरोना संक्रमण घातक साबित हो सकता है।
-डा. मनीषा मेहंदीरत्ता, सांस रोग विशेषज्ञ, सर्वोदय अस्पताल हृदय सहित अन्य बीमारियों के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और आसानी से किसी भी वायरस के संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। प्रदूषण के दिनों में हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। इससे परेशानियां बढ़ती है।
-डा. गजिदर गोयल, हृदय रोग विशेषज्ञ, क्यूआरजी हेल्थ सिटी अस्पताल प्रदूषण से बचने के उपाय
-अस्थमा के मरीज इन्हेलर समय पर लें और मास्क लगाकर ही बाहर निकलें।
-हृदय एवं अस्थमा के मरीज सुबह और शाम की सैर से परहेज करें।
-घर पर व्यायाम एवं योग करें।
-कम से कम तनाव लें और पौष्टिक भोजन करें।
-अस्थमा के मरीज भाप भी लें। इससे फेफड़ों को आराम मिलता है।