75 वर्ष पहले भी शहीद हुए थे अटाली के वीर
देश के लिए शहादत देने में अटाली गांव का इतिहास रहा है। करीब 75 साल पहले ¨हद की सेना में गांव के जवान जोरमल की शहादत हुई थी। फर्क इतना
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आजाद ¨हद फौज के सिपाही जोरमल हुए थे शहीद
सुभाष डागर, बल्लभगढ़
देश के लिए शहादत देने में अटाली गांव का इतिहास रहा है। करीब 75 साल पहले ¨हद की सेना में गांव के जवान जोरमल की शहादत हुई थी। फर्क इतना है कि वह आजाद ¨हद की फौज थी और ये ¨हद यानी भारत की फौज है। देश के लिए दूसरी शहादत अटाली गांव के वीर सपूत संदीप के नाम रही है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गांव के जवान जोरमल ने आजाद ¨हद फौज में भर्ती होकर लड़ाई के समय जर्मन में शहादत दी थी। उनके और साथियों के नाम से गांव के सरकारी स्कूल में स्तूप लगाया गया है। युद्ध के दौरान गांव अटाली के चंदन ¨सह, चुन्नीलाल और जोरमल आजाद ¨हद फौज में भर्ती हुए थे। जर्मन में लड़ाई लड़ते हुए जोरमल, तो शहीद हो गए, लेकिन चंदन ¨सह और चुन्नीलाल वापस आ गए। अब वे ¨जदा नहीं हैं।
गांव अटाली में मनोज कुमार की उपकार फिल्म की भी शू¨टग की गई थी जिसमें किसान और जवान की भूमिका दिखाई गई थी। उपकार फिल्म की कहानी संदीप की कुर्बानी ने एक बार फिर से ¨जदा कर दिया है। वे देश के ऊपर फौज में भर्ती होने के बाद शहीद हो गए और उनका छोटा भाई सोनू अभी भी खेती का काम करते हैं। शहीद की अंतिम यात्रा के दौरान के उपकार फिल्म का कसमे वादे प्यार वफा.. को ग्रामीण गुनगुना रहे थे।
जाट बाहुल्य गांव अटाली में 125 फौजी हैं। इसे प्रदेश सरकार ने आदर्श गांव घोषित किया हुआ है। गांव के खिलाड़ी भूपेंद्र ¨सह ने चार गुना चार सौ मीटर की दौड़ में बुसान और दोहा एशियाई खेलों में रजत पदक जीत चुके हैं। उनके लगातार दोबार पदक जीतने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा ने आदर्श गांव घोषित किया था। भूपेंद्र ¨सह को सरकार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है।