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जलाने की बजाय पराली से कमाई कर रहे किसान

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग से प्रदूषण बढ़ने का कारण धान की पराली जलाना बताया जा रहा है। जबकि प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार अभी तक फरीदाबाद जिले में किसी भी किसान ने पराली नहीं जलाई है और न ही किसी थाने में एक भी किसान के खिलाफ पराली जलाने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 06:37 AM (IST)
जलाने की बजाय पराली से कमाई कर रहे किसान

सुभाष डागर, बल्लभगढ़ : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग से प्रदूषण बढ़ने का कारण धान की पराली जलाना बताया जा रहा है। जबकि प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार अभी तक जिले में किसी भी किसान ने पराली नहीं जलाई है और न ही किसी थाने में एक भी किसान के खिलाफ पराली जलाने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की गई है। यहां के किसान पराली को 5000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से ऐसे लोगों को बेच रहे हैं, जिनके पास चारे का अभाव है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।

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जिले में इस बार 9000 हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई की गई। जिले दो हजार हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती की गई है। एक हजार एकड़ भूमि पर ईख बोई गई है। 5000 हेक्टेयर भूमि पर सब्जी की फसल लगाई गई है, जबकि 15 हजार हेक्टेयर भूमि पर चारा बोया गया है। जिले में कुल 32000 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। जिले में डेढ़ लाख पशु हैं। इन पशुओं के हिसाब से चारा बहुत कम है। पशु पालकों के लिए चारे का प्रबंध करना बड़ा मुश्किल हो रहा है। पशु पालक गांवों में जा रहे हैं और एक एकड़ की पराली को पांच हजार रुपये में खरीद कर ले जा रहे हैं। किसान पराली को जलाने की बजाय उसकी खेत में जुताई कर सकते हैं। इससे खेत को हरी खाद मिलेगी और उर्वरा बनेगी। किसान धान की पराली को जलाने की बजाय 5000 रुपये में बेच रहे हैं, क्योंकि जलाने से रुपये नहीं मिलते। पराली से मिलने वाले 5000 रुपये में एक एकड़ में गेहूं की बुवाई का काम पूरा किया जा सकता है।

-सरदार सिंह पराली को जलाने से तो अच्छा है कि किसान उन मजदूरों को दे दें, जिनके पास जमीन नहीं है और पशु रखे हुए हैं, उनके मजदूरों के चारे का काम चलेगा और प्रदूषण नहीं बढ़ेगा। अब कोई भी पराली नहीं जलाता है।

-रवींद्र सिंह बांकुरा अभी तक जिले में एक भी किसान की पराली जलाने के बारे में शिकायत नहीं मिली है। यदि कोई किसान पराली जलाता हुआ मिला या शिकायत मिली, तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया जाएगा। प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए मौसम विभाग या चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के मौसम विभाग की बारिश होने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।

-डॉ. अनिल कुमार, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फरीदाबाद


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