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पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक परिवेश का अहसास करा रहे बंगाली परिवार

दिल्ली-एनसीआर की दर्जनों दुर्गा पूजा कमेटियां हर वर्ष दुर्गा पूजा महोत्सव आयोजित कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 06:09 PM (IST)
पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक परिवेश 
का अहसास करा रहे बंगाली परिवार
पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक परिवेश का अहसास करा रहे बंगाली परिवार

अनिल बेताब, फरीदाबाद : दिल्ली-एनसीआर की दर्जनों दुर्गा पूजा कमेटियां हर वर्ष दुर्गा पूजा महोत्सव आयोजित करके पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक परिवेश का अहसास कराती आ रही हैं। पश्चिम बंगाल के मूल निवासियों ने जब 1970 में दिल्ली तथा आसपास के शहरों में आकर बसना शुरू किया तो उसी दौरान एकजुट होकर साहित्य, कला, संगीत और रंगमंच के माध्यम से संस्कृति का परचम फहरा दिया था। यह सिलसिला आज भी जारी है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इसके अलावा काली पूजा, सरस्वती पूजा तथा दीपावली भी धूमधाम से मनाई जाती है।

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बता दें कि वर्ष 1967-74 में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक आंदोलन चला, तो वहां से कई औद्योगिक इकाइयां दिल्ली-एनसीआर में स्थानांतरित हो गई थीं। काम-धंधे के सिलसिले में बहुत से नागरिक पश्चिम बंगाल से दिल्ली के आसपास के शहरों में आकर बस गए थे। यहां आकर इन्होंने नौकरी शुरू की, तो कई लोग अन्य काम-धंधे से जुड़ गए। साथ ही इन नागरिकों ने यहां दुर्गा पूजा कमेटियां बना लीं थीं।

फरीदाबाद कालीबाड़ी कमेटी के वरिष्ठ सदस्य अभिजीत गांगुली कहते हैं कि यहां बसे लोगों ने 1975 में फरीदाबाद कालीबाड़ी की स्थापना की। हर वर्ष कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से कार्यक्रम आयोजित किए जाने लगे। ऐसे ही यहां फरीदाबाद दुर्गाबाड़ी समिति का भी गठन किया गया। कोरोना संकट के चलते इस बार भले ही बड़ा उत्सव नहीं किया जा रहा हो, लेकिन षष्ठी के मौके पर बृहस्पतिवार शाम आमंत्रण कार्यक्रम से दुर्गा पूजन का शुभारंभ किया जाएगा। इस मौके पर सुबह महिलाएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए मां दुर्गा से प्रार्थना करेंगी। हम दुर्गा पूजा उत्सव के माध्यम से अपनी संस्कृति का प्रचार कर रहे हैं। हमारा मकसद है कि बच्चे और युवा भी अपनी माटी से जुड़े रहें। संस्कृति को अच्छी तरह से जान-समझ सकें। अपनी सभ्यता और अपनी मातृभाषा के महत्व को समझना है तो सार्वजनिक कार्यक्रम बहुत जरूरी है। इससे भाईचारा बना रहता है।

-एके पंडित, सह सचिव, फरीदाबाद कालीबाड़ी। पिछले वर्षों में हमने समाज कल्याण के लिए रक्तदान शिविर, वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर और निराश्रित बच्चों की मदद के लिए पढ़ाई का इंतजाम कराया था। इस वर्ष कोरोना के चलते शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कार्यक्रम किए जाएंगे।

-हिल्लौर बिस्वास, फरीदाबाद कालीबाड़ी।


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