फसल गिरी जमीन पर, मजदूरों ने बढ़ाई मजदूरी
पिछले दिनों बारिश होने से जमीन पर गेहूं की फसल गिरने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
सुभाष डागर, बल्लभगढ़ : पिछले दिनों बारिश होने से जमीन पर गेहूं की फसल गिरने से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। अब उन्हें जहां गिरी फसल कटाने के लिए श्रमिकों को ज्यादा मेहनताना देना पड़ रहा है, वहीं दाना पतला होने के कारण उत्पादन में भी काफी कमी होने की उम्मीद है।
जिले में इस बार गेहूं की करीब 19 हजार हेक्टेयर भूमि पर बोआई की गई है। फसल को बोआई से लेकर पकने तक 12 से 15 हजार रुपये प्रति एकड़ लागत आई है। मार्च के पहले पखवाड़े में बारिश हुई थी। तब गेहूं की फसल में बाली आ चुकी थी और दाना पड़ चुका था। तेज हवा होने के कारण गेहूं की फसल जमीन पर गिर गई। गिरी हुई फसल को कंबाइन (हारवेस्टर) से काटना आसान नहीं है। क्योंकि जो फसल खड़ी हुई है, उसे तो कंबाइन काट लेती है, लेकिन गिरी हुई है, उसे काटना मुश्किल होता है। इसलिए किसानों को गिरी हुई फसल को कटाने के लिए मजदूर लगाने पड़ रहे हैं। मजदूरों ने अपनी मजदूरी को गिरी हुई फसल देख कर बढ़ा दिया है। पिछले वर्ष एक एकड़ जमीन की कटाई का मजदूर छह मन (एक मन 40 किलोग्राम) यानि की दो कुंतल 40 किलोग्राम गेहूं ले रहे थे। इस बार मजदूरों ने अपनी मजदूरी बढ़ा कर दो कुंतल 60 किलोग्राम या फिर दो कुंतल 80 किलोग्राम कर दिया हैं। जमीन पर फसल गिरने से नीचे की फसल गल गई और ऊपर का दाना हवा लगने से पतला हो गया। गेहूं का सरकारी समर्थन मूल्य इस बार 1975 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है, जबकि पिछले वर्ष 1925 था। बेशक इसमें 50 रुपये प्रति कुंतल की बढ़ोतरी हुई हो, पर पीड़ित किसानों के अनुसार नुकसान को देखते हुए यह बेहद मामूली है। गेहूं की खेती करने वाले किसानों को इस बार बहुत नुकसान है। उत्पादन कम और लागत ज्यादा है। गेहूं की बोआई से लेकर कटाई तक करीब 20 से 22 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्चा हुआ है।
-नंदलाल मोहना गेहूं हवा लगने से पतला हो गया है। पहले जिस खेत में 18 कुंतल उत्पादन हुआ था, इस बार मुश्किल से 15 कुंतल गेहूं का उत्पादन होने की उम्मीद है। किसानों को गेहूं की फसल में नुकसान हुआ है।
-रणबीर सिंह, सागरपुर