पूछताछ में सामने आई पांच से 25 फीसद कमीशन की बात
200 करोड़ रुपये के घोटाला मामले में नगर निगम के मुख्य अभियंता की रिमांड अवधि पूरी हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : 200 करोड़ रुपये के घोटाला मामले में नगर निगम के मुख्य अभियंता डीआर भास्कर की छह दिन की रिमांड पूरी होने पर विजिलेंस शुक्रवार को अदालत में पेश करेगी। इस दौरान विजिलेंस की कोशिश आरोपित का रिमांड बढ़वाने की होगी। बृहस्पतिवार को उसकी रिमांड का आखिरी दिन था।
विजिलेंस ने मुख्य अभियंता डीआर भास्कर और ठेकेदार सतवीर को आमने-सामने बिठाकर फिर से पूछताछ की। इस दौरान सामने आया कि बिना काम भुगतान की एवज में ठेकेदार से पांच से लेकर 25 फीसद तक कमीशन लिया गया। विजिलेंस ने नगर निगम के ठेकेदार सतवीर को जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर अदालत से पांच दिन की रिमांड पर लिया है। उधर एक और मुख्य अभियंता रमन शर्मा ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई है। इस पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई, हालांकि कोई निर्णय नहीं हुआ। अब इस पर 23 मई को फिर सुनवाई होगी। अकाउंट ब्रांच के दस्तावेज खंगालेगी विजिलेंस
बिना काम के भुगतान को लेकर विजिलेंस अभी तक केवल इंजीनियरिग ब्रांच के ही चक्कर काट रही है। इंजीनियरिग ब्रांच से जुड़े अधिकारियों से पूछताछ हो रही है। उनसे टेंडर जारी करने से लेकर भुगतान करने तक की प्रक्रिया समझी गई है। विजिलेंस को बताया गया कि टेंडर जारी करने से लेकर बिल को अकाउंट ब्रांच तक भेजने की जिम्मेदारी इंजीनियरिग ब्रांच की होती है। विकास कार्यों से जुड़े कागजों पर इंजीनियरिग ब्रांच के जेई, एसडीओ, कार्यकारी अभियंता, अधीक्षण अभियंता और चीफ इंजीनियर के हस्ताक्षर होते हैं। अंत में विकास कार्यों के फोटो और उसकी सारी डिटेल के साथ बिल अकाउंट ब्रांच के पास भेज दिया जाता है। वहां से अकाउंट ब्रांच जांच के बाद भुगतान जारी करता है। सवाल उठता है कि जब अलग-अलग वार्ड में विकास कार्य ही नहीं हुए तो अकाउंट ब्रांच की ओर से भुगतान कैसे जारी कर दिया गया। विजिलेंस अब अकाउंट ब्रांच से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों से भी पूछताछ कर सकती है। यह है मामला
बता दें कि यह घोटाला मई 2020 में उजागर हुआ था। जब फरीदाबाद नगर निगम के तत्कालीन चार पार्षदों दीपक चौधरी, दीपक यादव, सुरेंद्र अग्रवाल व महेंद्र सरपंच ने तत्कालीन निगम आयुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने ठेकेदार सतवीर की विभिन्न फर्मों को बिना काम किए भुगतान कर दिया है। निगम आयुक्त ने अपने स्तर पर मामले की जांच कराई। ठेकेदार को भुगतान में अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने विजिलेंस से जांच की सिफारिश की। विजिलेंस ने इस मामले में दो मुकदमे दर्ज किए।