बाईपास पर जमकर हो रही है अवैध निर्माणों की अनदेखी
ग्रीनबेल्ट पर कब्जे के नाम पर बाईपास पर पिछले दिनों शराब ठेकों को सील कर दिया गया था। जबकि ठेकेदारों ने लाखों रुपये की रसीद कटवाई हुई थी। एक ठेका चलाने की एवज में करीब दो लाख रुपये हुडा को अदा किए हुए हैं।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : ग्रीनबेल्ट पर कब्जे के नाम पर बाईपास पर पिछले दिनों शराब ठेकों को सील कर दिया गया था, जबकि ठेकेदारों ने एक ठेका चलाने की एवज में करीब दो लाख रुपये हुडा को अदा किए हुए हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि क्या अधिकारियों को यह पहले नहीं पता था कि ग्रीनबेल्ट पर शराब ठेके चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जबकि बाईपास पर शराब ठेके लंबे समय से चलते आ रहे हैं। उस दौरान कभी ठेकों को सील नहीं किया गया।
वहीं दूसरी ओर सेक्टर-37 से लेकर सेक्टर-59 तक तो बाईपास के दोनों ओर ग्रीनबेल्ट पर कच्ची-पक्की दुकानें, होटल, ढाबे सब बने हुए हैं। इसके अलावा झुग्गियां डाल कर ग्रीनबेल्ट पर कब्जा किया हुआ है, पर सर्वे शाखा के अधिकारी इस ओर आंखें मूंदे हुए हैं। यह भी बता दें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आदेश दिए थे कि ग्रीनबेल्ट से सभी तरह के कब्जे हटाए जाएं। इसके बावजूद अभी तक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। क्यों नहीं हटा पा रहे कब्जे
बाईपास किनारे कब्जों का खेल नया नहीं है। यहां एक दशक से लगातार कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। इस बाबत समय-समय पर हुडा अधिकारियों को कई शिकायतें दी गई, पर कार्रवाई नहीं हो सकी। तिगांव निवासी अधिवक्ता नरेंद्र कौशिक ने भी बाईपास किनारे एक होटल बनने की शिकायत हुडा को दी थी, साथ ही इस बाबत एक आरटीआइ भी लगाई थी। पर हुडा अधिकारियों ने ऐसी जानकारी होने से ही इंकार कर दिया था। नरेंद्र कौशिक का आरोप है कि हुडा के कुछ अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत है। इनकी शह पर ही ऐसे अवैध निर्माण हो रहे हैं। यहां अवैध रूप से ट्यूबवेल भी चल रहे हैं। क्योंकि सर्वे ब्रांच में जेई ही जांच के लिए भेजे जाते हैं, वह उच्च अधिकारियों को गलत रिपोर्ट देकर अंधेरे में रखते हैं। ईमानदार अधिकारी खुद सर्वे करें तो उन्हें सच्चाई पता चल जाएगी। हां यह ठीक है, बाईपास किनारे कब्जे हैं। इन्हें जल्द हटाया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
-धर्मबीर वर्मा, एसडीओ, सर्वे शाखा, हुडा।