बरसात के बाद तेजी से बदला मौसम, कई बीमारियों को देगा जन्म
संवाद सूत्र ढिगावा मंडी सुबह के वक्त ठंडी हवा दिन में जबरदस्त गर्मी शाम होते-होते बारि
संवाद सूत्र, ढिगावा मंडी:
सुबह के वक्त ठंडी हवा, दिन में जबरदस्त गर्मी, शाम होते-होते बारिश और रात में फिर ठंड। इस वक्त का बदलता मौसम किसी को भी बीमार कर सकता है। लिहाजा कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखकर आप बिस्तर पकड़ने से बच सकते हैं। बरसात का मौसम कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। इस मौसम में नमी और पानी के कारण संक्रमण फैलने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। पानी में पलने वाले मच्छरों के काटने से होने वाले रोगों के अलावा जीवाणुओं से पैदा होने वाले डायरिया, फूड प्वाइजनिंग आदि का भी खतरा रहता है। इस मौसम में कभी उमस तो कभी ठंड के कारण फ्लू, सर्दी-जुकाम, बुखार, एलर्जी और इंफेक्शन का भी खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में जरूरी है कि शरीर की साफ-सफाई के साथ अपने पीने के पानी का भी विशेष ध्यान रखा जाए। कारण कि दूषित पानी अनेक तरह की बीमारियों को आमंत्रित करता है।
सुनील अस्पताल में ढिगावा से महिला रोग विशेषज्ञ डा. मोनिका ने कहा कि बरसात के मौसम में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। स्वच्छ पानी और ताजा भोजन का सेवन करना चाहिए। उन्होंने जल जनित बीमारियों से बचाव के सुझाव दिए। मच्छर जनित रोग मलेरिया बरसात में होने वाली सबसे आम और गंभीर बीमारी है। यह जल जमाव से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होता है। यह रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है।
डेंगू बुखार बेहद खतरनाक होता है। यह भी मच्छरों के काटने से फैलता है। एडीज मच्छर के काटने से मरीज डेंगू से पीड़ित हो जाता है। इससे मरीज के पूरे शरीर और जोड़ों में तेज दर्द होता है। डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं।
बचाव के उपाय
घर की खिड़कियों पर जाल का प्रयोग करें। खिड़कियों पर जाल नहीं है, तो रात को सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं। मच्छर जनित रोगों से बचने के लिए अपने आसपास यानी घर, बालकनी, गमले, एसी या कूलर में पानी का जमाव न होने दें। नालियों में डीडीटी का छिड़काव करवाएं। इस मौसम में बच्चों को पूरी बाजू वाले कपड़े पहनाएं। जीवाणु जनित रोग :
डायरिया - डायरिया बरसात के मौसम में जीवाणुओं के संक्रमण से होने वाली आम बीमारी है। इसमें मरीज को पेट में मरोड़ होने के साथ ही दस्त होना प्रमुख है। यह खासकर बरसात में प्रदूषित पानी और खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है। इससे बचने के लिए साफ और ढके खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का ही सेवन करे।
फूड प्वाइजनिंग - बारिश में फूड प्वाइजनिग सबसे ज्यादा होती है। इस मौसम में घड़ी-घड़ी बदलाव होने से खाने-पीने की चीजें जल्द खराब हो जाती हैं और जब कोई व्यक्ति ऐसे आहार ग्रहण करता है तो वह फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो जाता है। इससे बचने के लिए बरसात में जितना हो सके बाहर का खाना-पीना और तली-भुनी चीजों को न कहना सीखें। ठंड लगना, पेट में दर्द, उल्टी और बुखार आना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। ये हैं बचाव के उपाय
नियमित रूप से व्यायाम करें। पर्याप्त मात्रा में साफ पानी पीएं। सेहतमंद और पोषक आहार लें। खाने-पीने की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। पानी उबाल कर और छानकर ही पीएं। हाथ धोने के बाद ही कुछ खाए-पीएं। देर से कटे फलों के सेवन से बचें। कच्चा और अधपका मांसाहारी भोजन न करें।