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साल दर साल बिगड़ते गए पानी निकासी के हालात, कई कारण जिम्मेदार

पिछले तीन सप्ताहों के दौरान तीन-चार बार हुई मानसून की शु

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 06:20 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:20 AM (IST)
साल दर साल बिगड़ते गए पानी निकासी के हालात, कई कारण जिम्मेदार
साल दर साल बिगड़ते गए पानी निकासी के हालात, कई कारण जिम्मेदार

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : पिछले तीन सप्ताहों के दौरान तीन-चार बार हुई मानसून की शुरुआती बरसात से दादरी शहर के मुख्य बाजारों, कालोनियों में दूषित जलभराव से जो गंभीर हालात बने रहे तथा अधिकतर भागों में सीवरेज सिस्टम दम तोड़ता दिखाई उससे कई प्रकार के सवाल उठाए जाने लगे हैं। वैसे भी केवल वर्षा होने पर ही नहीं सामान्य दिनों में दादरी शहर में दूषित पानी की निकासी, सीवरेज व्यवस्था पटरी से उतरी रहती है। स्थान स्थान पर सीवरेज लाइनें चोक होने, सड़कों के साथ बने नाले ओवरफ्लो होने से आम आदमी परेशानियों का सामना करता रहता है। साल दर साल सीवरेज व दूषित जल निकासी पर करोड़ों रुपये खर्च करने, दर्जनों योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के बाद भी मौजूदा हालातों के लिए कौन कौन से कारण जिम्मेदार है। समय रहते इस पर चितन करना जरूरी जान पड़ता है। दैनिक जागरण से इस विषय पर जुड़े तथ्यों की पड़ताल की तो कई बातें उभरकर सामने आई। बाक्स :

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दीर्घकालीन योजनाओं की कमी

पिछले साल, दो साल नहीं बल्कि करीब 40 वर्षो से दादरी शहर में सीवरेज की नयी योजनाएं बनाने, पानी निकासी के दूसरे कार्य करने में केवल तत्कालीन हालातों पर फोकस किया गया। होना यह चाहिए था कि इस प्रकार की कोई भी योजना बनाते समय अगले 20 से 30 वर्षों के दौरान बढ़ने वाली जनसंख्या, कालोनियों के विस्तार, जरूरतों पर ध्यान देना जरूरी था। इससे न केवल करोड़ों रुपये की सार्वजनिक धनराशि की लगातार बर्बादी होती गई बल्कि शहर के हालात निरंतर बदतर बनते गए। बाक्स :

सियासी लाभ के लिए बिछाई लाइनें

पिछले एक दर्जन विधानसभा, लोकसभा चुनाव के दौरान और कुछ चाहे अलग दिखाई देता रहा तो लेकिन कुछ बातों में एकरूपता दिखाई दी। मसलन चुनाव से कुछ समय पूर्व राजनेताओं विशेषकर सत्ताधारी दलों के नेताओं द्वारा शहरी मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए धड़ाधड़ विकास कार्य शुरू करवाए गए। इनमें नियम कायदों का भी ध्यान नहीं रखा गया। इस दौरान काफी ऐसी सीवरेज लाइनें बिछा दी गई जिनके पानी के निकास का कोई उपाय ही नहीं था। इसी प्रकार बगैर लेवल के नालों, नालियों का निर्माण किया गया। इससे दूषित पानी के निकासी की समस्या लगातार गंभीर होती गई। बाक्स :

सभी प्राकृतिक रास्ते हुए बंद

करीब 30 वर्ष पहले तक दादरी शहर में खाड़ियों व जोहड़ों के साथ-साथ वर्षा के पानी की निकासी के नियोजित तरीके से बने प्राकृतिक रास्ते थे। अनियंत्रित विकास, धड़ाधड़ सड़कों, भवनों व अन्य निर्माण होने से वे रास्ते रूकते गए। अधिक वर्षा होने पर ही प्राकृतिक रास्ते बंद होने से पानी जगह-जगह खड़ा होकर भारी परेशानियों का सबब बना रहता है। बाक्स :

कागजी कार्यवाही की भेंट चढ़ी योजनाएं

दादरी शहर में लगातार यह भी देखने में आता रहा है कि व्यापक स्तर पर अनियमितताओं, राजनैतिक हस्तक्षेप व कुछ माफिया किस्म के लोगों द्वारा सरकारी ठेकों, निर्माण कार्यो पर काबिज होने से स्थिति गंभीर बनती गई है। सीवरेज, योजनाओं, दूषित पानी की निकासी के नालों इत्यादि के कार्यो में नियम, कायदों, निर्धारित मानदंडों की घोर उपेक्षा की गई। जिसके नतीजे में काफी योजनाएं अपने मकसदों को हासिल करने में पूरी तरह नाकाम रही। जिसका खामियाजा आम लोगों को लगातार भुगतना पड़ा है।


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