चलो गांव की ओर : दक्षिणी हरियाणा में गांव उमरवास ने बनाई नई पहचान
बाढड़ा : आधुनिकता के इस दौर में लोग गांवों को छोड़कर शहर की ओर दौड
संवाद सहयोगी, बाढड़ा : आधुनिकता के इस दौर में लोग गांवों को छोड़कर शहर की ओर दौड़ लगा रहे हैं। जिसके कारण आज के दिनों में शहर में जनघनत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। शहर में रहकर लोग जीवन यापन तो कर रहे हैं, लेकिन आज भी देश की प्रतिभाएं गांवों से निकलकर ही देश का नाम रोशन कर रहीं हैं। दक्षिणी हरियाणा के बाढड़ा उपमंडल के समीपवर्ती गांव उमरवास देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी शहर से ज्यादा पहचान बना रहा है। विख्यात मुक्केबाज कैप्टन हवा¨सह ने 60 के दशक में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर खेल के क्षेत्र में जो नींव रखी उसके कारण उनकी तीन पीढि़या आज भी अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं।
गांव उमरवास की स्थापना सिधनवा धाम से आए श्योराण व ¨सदौलिया गोत्र के परिवारों द्वारा की गई थी। गांव में आजादी के समय में भी शिक्षित व बहादुर लोगों की कमी नहीं रही। गांव की लड़की सावित्री देवी को प्रदेश की दस महिला अधिवक्ताओं के पैनल में शामिल होने का गौरव मिला हुआ है। 26 सौ एकड़ भूमालिक व 600 मकानों के रिहायशी वाले गांव उमरवास के लोगों की आजीविका भले ही खेती-बाड़ी रही हो लेकिन युवाओं को फौज व खेलों के अलावा निजी व्यवसाय में काफी रुचि देखने को मिली है। गांव में जन्मे हवा ¨सह श्योराण ने आर्मी में रहते हुए 60 के दशक में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत कर भारतीय आर्मी सहित हरियाणा क्षेत्र की प्रतिष्ठा का लोहा मनवाया जिसके बाद सेना ने उनको तुरंत कैप्टन बनाया जबकि केंद्र सरकार ने अर्जुन, भीम अवार्ड व प्रशिक्षण क्षेत्र का सबसे बड़ा गुरू द्रोणाचार्य अवार्ड देकर सम्मानित किया। उनके पुत्र संजय श्योराण प्रदेश के एक नंबर के मुक्केबाज बनकर भीम अवार्डी है वहीं कैप्टन हवा¨सह श्योराण की तीसरी पीढ़ी के रूप में उनकी पोती नूपुर श्योराण भी आल इंडिया नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट हैं और ओलंपिक की तैयारी में जुटी हैं।
गांव के ही भगवान ¨सह, ईश्वर ¨सह जगन्नाथ समेत चार ऐसे बड़े ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं जिनका मुंबई, कोलकाता, दिल्ली क्षेत्र में आधे से अधिक परिवहन व माल भाड़े के बिजनेस पर कब्जा है। गांव के ग्रामीणों को विकास रोजगार के मामले में आत्मनिर्भरता तो बढ़ी है लेकिन चकबंदी कार्य अधर में होने के कारण विकास योजनाएं भी अधर में ही लटक जाती हैं। सेना में है बड़े अधिकारी
गांव उमरवास जैसे छोटे से गांव ने सेना को बड़े-बड़े अधिकारी दिए हैं जो सेना में रहते हुए सीमा पर अग्रिम मोर्चे पर डटे हैं। गांव के युवा अनिल शर्मा बीएसएफ में कमांडेंट हैं वहीं जगजीत शर्मा व सुरेंद्र शर्मा सेना में कैप्टन के पद पर राष्ट्रसेवा में जुटे हैं। कर्मचारी नेता प्यारेलाल ने अस्सी के दशक में सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया वहीं बाद में विस चुनाव भी लड़ा। छात्र नेता विजय मोटू राजकीय कालेज के अध्यक्ष के अलावा युवाओं के लिए अनेक संघर्षो में अग्रणी रहे वहीं मुकेश गौड़ भाजपा प्रदेश सचिव के अलावा हिमाचल प्रदेश के चुनावी प्रभारी रह चुके हैं। 36 बिरादरी लेती हैं सर्व हित का फैसला
गांव के पूर्व सरपंच विजय मोटू व समाजसेवी मुंशीराम जांगड़ा ने बताया कि गांव उमरवास में 36 बिरादरी का सर्वसमाज युक्त गांव है। गांव के विकास के लिए सभी लोग मुख्य चौक में बैठकर सर्वहित का निर्णय लेते हैं। गांव में अभी चकबंदी का कार्य चल रहा है जिसको लेकर सभी लोग प्रशासन के सहयोग से इसको जल्द ही पूरा करेंगे वहीं गांव के आठवीं कक्षा तक स्कूल को और ज्यादा सुंदर बनाने के लिए सभी अभिभावक व शिक्षक एकजुटता से प्रयासरत हैं।