हुनरमंद महिलाएं खादी को स्वावलंबन की सीढी बना समाज को दे रही आर्थिक मजबूती
जागरण संवाददाता भिवानी हुनरमंद बनने के बाद अब आत्मनिर्भर हो कैरू और आस पास के गांवों
जागरण संवाददाता, भिवानी :
हुनरमंद बनने के बाद अब आत्मनिर्भर हो कैरू और आस पास के गांवों की 222 महिलाएं समाज को आर्थिक मजबूती दे रही हैं। ये महिलाएं अपने घरों में रह कर ही खादी पर अपने हुनर को उकेर कर थाल पोश, दरी, पायदान कुशल, बंदरवाल, टोपे, स्वेटर आदि बना कर उद्योगों, बाजारों में बेच कर अपने परिवारों के लिए तो सहारा बनी ही हैं समाज को भी आर्थिक मजबूती दे रही हैं।
बतौर कमला देवी इन महिलाओं ने कैरू में चल रहे हैंडलूम खादी उद्योग में निश्शुल्क ट्रेनिग ली है। गांव कैरू में लगा हैंडलूम खादी उद्योग दक्षिण हरियाणा का एक मात्र खादी उद्योग है और यहां काम करने वाली महिलाओं और पुरुषों ने हरियाणा प्रदेश में घर-घर में खादी को पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। घर का काम करने के बाद हर माह 12 से 15 हजार रुपये कमा रही :
गांव कैरू की सिलोचना, मीना, शीला देवी, आशा, भतेरी, बिमला, मंजू, गंगादेवी, निर्मला देवी, सरोज के अलावा मीरा देवी गांव मनसरवास, सुशीला खारियावास, मीनाक्षी सुंगरपुर, राजबाला चंदाबास, उषा देवी गांव ढांगर, निर्मला जीतवानबास, ज्योति लेघां आदि बताती हैं कि घर में खेती बाड़ी और मेहनत मजदूरी का काम था। परिवार तंगी के दौर से गुजर रहा था। उन्होंने हैंडलूम उद्योग में हुनर सीखा तो अब परिवार के लिए भी सहारा बनी है। उनके द्वारा तैयार चीजें आस पास ही नहीं दूर दराज के शहरों में अच्छी कीमत ले रही हैं। यूं कहें कि हर माह 12 से 15 हजार रुपये घर का काम करने के बाद भी कमा लेती हैं। हमें खुशी है कि हम परिवार के लिए सहारा बनी हैं। हर महिला को मेहनत कर कोई न कोई हुनर सीख स्वावलंबी जरूर बनना चाहिए। खादी का हुनर दे रहा समाज को आर्थिक मजबूती :
हमने वर्ष 1998 में हैंडलूम खादी उद्योग शुरू किया था। कुछ समय के लिए यह बंद रहा पर वर्ष 2010 से लगातार काम किया जा रहा है। गांव और आस पास के गांवों खारियावास, मनसरवास, सुंगरपुर, चंदाबास, जीतवानबास, ढांगर, लेघां आदि से महिलाएं उनके पास आती हैं और खादी से आकर्षक चीजें बनाने का हुनर सीखती हैं। सरकार इस उद्योग को और ज्यादा बढ़ावा देने की पहल करे।
कमला देवी, हैंडलूम खादी उद्योग संचालक।