Move to Jagran APP

सतगुरु जीव का प्रथम और आखिरी सहारा है : संत कंवर महाराज

सतगुरु ही केवल इस जगत में एकमात्र देने वाले हैं। सतगुरु देने में कोई कमी नहीं छोड़ता। सतगुरु ही दीन दयाल राधास्वामी का स्वरूप है। सतगुरु शरण में आकर भी हमारी झोली खाली रहती है तो ये हमारी कमी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 05:47 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 06:14 AM (IST)
सतगुरु जीव का प्रथम और आखिरी सहारा है : संत कंवर महाराज
सतगुरु जीव का प्रथम और आखिरी सहारा है : संत कंवर महाराज

जागरण संवाददाता, भिवानी : सतगुरु जीव का प्रथम सहारा भी है और आखिरी भी। सतगुरु ही केवल इस जगत में एकमात्र देने वाले हैं। सतगुरु देने में कोई कमी नहीं छोड़ता। सतगुरु ही दीन दयाल राधास्वामी का स्वरूप है। सतगुरु शरण में आकर भी हमारी झोली खाली रहती है तो ये हमारी कमी है। यह सत्संग वचन परमसंत कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए।

loksabha election banner

हुजूर महाराज ने कहा कि तीन तरह से कष्ट दूर हो सकता है। पहला किसी से अपना दुख बांट कर। दूसरा उस पीड़ा को लिख लो चाहे बाद में उसे फाड़ दो और तीसरा सतगुरु के समक्ष फरियाद करो चाहे प्रत्यक्ष होकर या मन से। तीनों में ही सतगुरु आपका सबसे बड़ा सहारा है। सतगुरु का सूक्ष्म रूप केवल तभी सम्भव होगा जब कुल वर्ण गोत्र को छोड़ दोगे यानी जब जगत से उपरामता प्राप्त कर लोगे तब जाकर हृदय में प्रेम की कटारी लग पाती है।

हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि राधास्वामी दयाल की शरण मिलने पर रूह शब्द को सुनती है, मानसरोवर में नहाती है और हंस रूप होकर मुक्ति धाम में स्थान पाती है। ये इतना आसान नहीं है, मन कभी इसको विश्राम नहीं करने देता। गुरु महाराज ने कहा कि सतगुरु के सामने ये फरियाद करो कि सतगुरु हमें सगुण के साथ-साथ निर्गुण रूप भी दिखाओ। इसी रूप से जीव की मुक्ति होती है। स्थूल रूप भी सतगुरु का प्यारा है। यह भी सत्य है कि सतगुरु का स्थूल नरदेही रूप के बिना जीव का काज नही सरता। सतगुरु नर देह में जगत में ना आएं तो जीव कैसे चेतेगा।

हुजूर महाराज ने कहा कि सतगुरु का नूरी रूप भी आप पा सकते हो यदि मन को मार कर आप करनी करना सीख जाएंगे। इनके लिए पांच इंद्रियों का मार्ग बंद करना पड़ेगा। जब स्पर्श रूप गंध स्वाद और शब्द इंद्री रसों को त्याग दोगे तब अलख अगम के पार आपको राधास्वामी धाम में सतगुरु के असल रूप के दर्शन होंगे। यह तब होगा जब धैर्य रख कर करनी का मार्ग अपनाया जाएगा। धैर्य तब आएगा जब आप सत संगत करोगे और सत संगत तब कर पाओगे जब स्वयं परमात्मा की मेहर पा लोगे। मेहर सेवा प्रेम से पाई जा सकती है। सेवा प्रेम तभी आएगा जब संशय मिट जाएगी और अंतत: संशय तभी मिटेगा जब स्थूल और सूक्ष्म को एकरूप मान लोगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.