कितलाना टोल पर धरना जारी, महिलाओं ने बांधी राखियां, भाइयों ने दिया रक्षा का वचन
जागरण संवाददाता चरखी दादरी भाई-बहन के असीम प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : भाई-बहन के असीम प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार रविवार को कितलाना टोल पर मनाया गया। यहां आंदोलनरत महिलाओं ने हर्षोल्लास से पर्व की खुशियां बांटी। किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के 241वें दिन हिदू धर्म की महिलाओं ने मुस्लिम समुदाय के किसानों को भी राखी बांधी वहीं भाइयों ने अपना फर्ज निभाते हुए उनकी रक्षा का वचन दिया। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ इस संघर्ष में वे अपनी बहनों का डटकर साथ देंगे और उससे आगे भी जीवन पर्यंत हर हालात में बहनों के साथ खड़े मिलेंगे। सेवानिवृत्त कर्मचारी सबीर हुसैन ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 9 महीने से चल रहे जन आंदोलन में बहन, बेटियों ने सर्व समाज का जो साथ दिया है वह सराहनीय है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर चाहे भारत बंद हो या रोड रोको कार्यक्रम या फिर हिसार और रोहतक में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ आंदोलन की बात बहनों ने किसान और मजदूर भाइयों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है। उन्होंने कहा कि वे भी अपने फर्ज को निभाएंगे और बहनों पर कोई आंच नहीं आने देंगे। 241वें दिन भी जारी रहा धरना
धरने के 241वें दिन सांगवान खाप चालीस से नरसिंह सांगवान डीपीई, श्योराण खाप से बिजेंद्र बेरला, किसान सभा से प्रताप सिंह सिंहमार, दिलबाग ढुल, सुभाष यादव, कमल सांगवान, सुशीला घणघस ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने इतिहास पर रोशनी डालते हुए कहा कि बहन भाई का रिश्ता अटूट होता है। इसमें बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती है। चित्तौड़ की राजपूत महारानी कर्णावती ने चित्तौड़ की जनता का सम्मान बचाने के लिए मुगल बादशाह हुमायूं के पास राखी भिजवाई थी। बादशाह हुमायूं ने अपना बंगाल जीत का दौरा बीच में छोड़कर चित्तौड़ पर हमाल करने वाले गुजरात के बादशाह बहादुरशाह को हराया और बहन कर्णावती व उनकी जनता की रक्षा की। ये रहे मौजूद
धरने में मंच संचालन किसान सभा नेता कामरेड ओमप्रकाश ने किया। झ्स अवसर पर सूरजभान झोझू, सुरेंद्र कुब्जानगर, रणधीर घिकाड़ा, कमल प्रधान, जगदीश हुई, धर्मेंद्र छपार, रणधीर कुंगड़, सबीर हुसैन, सुलतान खान, सतीश सांगवान, सूबेदार सतबीर सिंह, चंद्र सिंह छपार, राजेश जांगड़ा, बलजीत मानकावास, लीलाराम, हरबीर नंबरदार, सूबेदार कंवरशेर चंदेनी भी उपस्थित रहे।