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बवानीखेड़ा खंड में पिछली बार से 200 हेक्टेयर कम भूमि पर हुई धान की रोपाई

मेरा पानी मेरी विरासत योजना के प्रति धीरे-धीरे यहां के किसा

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 08:02 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 08:02 PM (IST)
बवानीखेड़ा खंड में पिछली बार से 200 हेक्टेयर कम भूमि पर हुई धान की रोपाई
बवानीखेड़ा खंड में पिछली बार से 200 हेक्टेयर कम भूमि पर हुई धान की रोपाई

राजेश कादियान, बवानीखेड़ा : मेरा पानी, मेरी विरासत योजना के प्रति धीरे-धीरे यहां के किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। किसानों ने जल के महत्व को देखते हुए इस योजना को अपनाना शुरू कर दिया है। किसान भी अब पानी की बचत को लेकर जागरूक होने लगे हैं।

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बवानीखेड़ा खंड में किसानों ने इस योजना से प्रेरित होकर पिछले सीजन की बजाए इस बार धान की करीब 200 हेक्टेयर कम भूमि पर रोपाई की है। पिछले सीजन के दौरान यहां के किसानों ने 6700 हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई की थी जोकि इस बार घट कर 6500 हेक्टेयर रह गई है। इस योजना को बढ़ावा देने के लिए जहां सरकार भी किसानों को प्रति एकड़ सात हजार रुपये प्रोत्साहन रूप राशि प्रदान कर रही है। इसका असर किसानों पर देखने को भी मिलने लगा है। सरकार की योजना के मुताबिक अगर किसी किसान ने पिछले सीजन में धान की रोपाई की हुई थी उस किसान ने इस बार धान की जगह अन्य फसल की रोपाई की है तो उसे प्रति एकड़ सात हजार रुपये की प्रोत्साहन स्वरूप राशि दी जा रही है। इसी प्रकार बाजरा की बिजाई भी पिछले सीजन की बजाए एक हजार हेक्टेयर भूमि पर कम हुई है। क्योंकि बाजरा की जगह तिलहन व दलहन की फसलों की बिजाई पर सरकार प्रति एकड़ किसानों को चार हजार रुपये की राशि सरकार प्रोत्साहन स्वरूप दे रही है। तिलहन व दलहन की फसलों पर जोर

बवानीखेड़ा खंड में पिछले सीजन के दौरान किसानों ने 2750 हेक्टेयर भूमि पर बाजरा की बिजाई की थी। जोकि इस बार घटकर 1750 हेक्टेयर रह गई है। इतना ही नहीं 500 हेक्टेयर का रकबा कपास की बिजाई का भी बढ़ा है। पिछले सीजन के दौरान 13500 हेक्टेयर जमीन पर कपास की बिजाई की गई थी जोकि बढ़कर 14 हजार हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। किसानों का मूंग की बिजाई के प्रति भी काफी रुझान बढ़ा है। किसान दलहन की फसलों की बिजाई में कोई खास रूचि नहीं ले पाते थे लेकिन सरकार की योजना का लाभ लेने के लिए इस बार किसानों का मूंग की बिजाई की ओर भी काफी रुझान बढ़ा है। पिछले सीजन के दौरान यहां पर 10 हेक्टेयर से भी कम मूंग की बिजाई की गई थी जोकि इस बार बढ़ कर 350 हेक्टेयर का आंकड़ा पार कर चुकी है।

जलसंरक्षण को लेकर किसान हुए जागरूक : डा. ढुल

किसान पानी की बचत की ओर से ध्यान देने लगे हैं। किसान अब पानी की कीमत को समझते हुए बचाने के लिए आगे आने लगे हैं। मेरा पानी मेरी विरासत योजना के प्रति किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। इस बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम पिछले चार माह से किसानों को जागरूक करने में लगी थी।

- डा. शमशेर सिंह ढुल, खंड कृषि अधिकारी।


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