नंबरदार मुकेश ने घर की छत पर ही सजा दी पूरी बगिया
कोरोना काल पूरी मानव जाति के लिए संकट की घड़ी है। सबसे बड़ी बात यह है मानव को हरे पेड़ कटाई का नतीजा भी इस संकट काल में भुगतना पड़ा है। पेड़-पौधों को जीवन का आधार माना गया है।
अशोक ढिकाव, भिवानी : कोरोना काल पूरी मानव जाति के लिए संकट की घड़ी है। सबसे बड़ी बात यह है मानव को हरे पेड़ कटाई का नतीजा भी इस संकट काल में भुगतना पड़ा है। पेड़-पौधों को जीवन का आधार माना गया है। इसका कारण यह है कि पेड़-पौधे फल-फूल देने के साथ ऑक्सीजन देते है, जो कि मानव जिदगी का आधार है। मानव ऑकसीजन के बिना एक पल भी जिदा नहीं रह सकता है। यह बात पेड़-पौधों का सरंक्षण करने में जुटे नंबरदार मुकेश बागड़ी ने कही। मुकेश बागड़ी ने अपने घर की छत पर ही पेड़-पौधों की बगिया बनाई हुई है। अपने बच्चों को साथ लेकर वह इस बगिया को संभालते है। पूरे घर को उन्होंने आक्सीजन का खजाना बनाया हुआ है।
हालुवास गेट स्थित चौ.बंसीलाल पार्क देखरेख संरक्षण कमेटी के सचिव हालू मोहल्ला निवासी नंबरदार मुकेश बागड़ी संकट के समय में लोगों की सेवा करने में लगे है। इसके साथ ही उनकी दिनचर्या सुबह पेड़-पौधों की देखरेख से होती है। उन्होंने अपनी घर की तीन छत पर करीब 40 से अधिक पौधे लगाए हुए है। इनमें तुलसी, गुलाब, मरवा, नींबू, हरी मिर्च सहित अनेक ऐसे पौधे है, जो होते तो छोटे-छोटे है, लेकिन जिदगी के लिए बड़े काम के है। वह अपने बच्चों के साथ मिलकर सुबह पहले ही इन पौधों की देखभाल में जुट जाते है। उसके बाद पहुंचते है सीधे चौ.बंसीलाल पार्क वहां पर अपनी पूरी मंडली के साथ रोजाना अपने द्वारा लगाए दर्जनों पेड़ पौधों में अपने हाथों से खाद व पानी देते है। उन्होंने बताया कि घर में कोई भी खुशी का पर्व यानी दिन हो, उस दिन वह पार्क में एक पेड़-पौधा नया जरूर लगा कर आते है। अपने बच्चों को भी वह इसके प्रेरित करते है कि जीवन में अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए।
कोर्ट परिसर में भी लगाए है दर्जन भर पौधे
वह बातते है कि घर व पार्क के साथ कोर्ट परिसर में भी एक दर्जन पेड़-पौधे लगाए हुए है। उन्हें भी वह जरूर संभालते है, ताकि लोगों को पर्याप्त ऑक्सीजन, छाया मिल सके। इनमें जामून, नींव व अन्य पौधे शामिल है। इन पौधों को वह ना संभाल पाए तो अपने साथियों को भेजकर उनकी देखभाल करवाते है।