राजेंद्र-सिलोचना दंपती के घर में लगा है प्राकृतिक ऑक्सीजन प्लांट
आक्सीजन कितनी अनमोल है इसका महत्व समझना है तो राजेंद्र-सिलोचना दंपती के घर में लगे सांसों को थामने वाला प्राकृतिक ऑक्सीजन प्लांट जरूर देख लीजिए। इन्होंने 800 गज के मकान में 500 गज में छोटे बड़े 300 से ज्यादा पौधे लगाए हैं।
सुरेश मेहरा, भिवानी : आक्सीजन कितनी अनमोल है इसका महत्व समझना है तो राजेंद्र-सिलोचना दंपती के घर में लगे सांसों को थामने वाला प्राकृतिक ऑक्सीजन प्लांट जरूर देख लीजिए। इन्होंने 800 गज के मकान में 500 गज में छोटे बड़े 300 से ज्यादा पौधे लगाए हैं। यह दंपती प्रतिदिन दो से तीन घंटे इन पौधों की देखभाल करता है। वर्ष 2006 से इन्होंने घर में पौधे लगाने शुरू किए थे और यह मिशन अभी जारी है। खुद तो पौधे लगाते हैं औरों को भी पौधे लगाने लिए प्रेरित करते हैं। सहयारपुर निवासी इस दंपती का प्रकृति प्रेम देखते ही बनता है। कोरोना महामारी के इस दौर में तो पौधों की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
वितरित भी करते हैं पौधे : राजेंद्र सिंह
राजेंद्र सिंह बताते हैं कि वह जनरल स्टोर की दुकान चलाते हैं। दुकान पर जाने से पहले सुबह दो से तीन घंटे वह पौधों के बीच रहते हैं और हम इनकी देखभाल करते हैं। वह वर्ष भर में पांच से सात हजार रुपये के पौधे खरीद कर जरूर लगाते हैं। इसके अलावा समय-समय पर पौधे वितरित भी करते हैं। वह बताते हैं कि स्कूल समय से ही उनको पौधों के प्रति प्रेम रहा है। पौधे हैं तो जीवन है।
आंगनबाड़ी में भी सिलोचना ने लगा रखे हैं 150 पौधे
आंगनबाड़ी वर्कर सिलोचना कहती हैं कि हमने गांव की आंगनबाड़ी में भी 150 से ज्यादा पौधे लगा रखे हैं। बच्चे जब हरियाली के बीच बैठ कर पढ़ते हैं तो इसकी खुशी ही अलग होती हैं। वह बताती हैं कि 15 वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है। पौधों के बीच जीवन बसर होता है। फल और फूलदार पौधों के अलावा घर में सब्जियां तक लगा रखी हैं।
गाय के गोबर की देशी खाद का करते हैं प्रयोग
सिलोचना और राजेंद्र सिंह लांबा बताते हैं कि पौधों में हम देशी खाद का प्रयोग करते हैं। हमारे परिवार में गाय हैं। उनके यहां से गाय का गोबर ले आते हैं और उसकी खाद तैयार कर वह ही पौधों में डालते हैं। पौधे खूब हरेभरे रहते हैं। हम कभी भी रासायनिक खाद यूरिया आदि का प्रयोग नहीं करते।
फल और फूलदार लगाए हैं पौधे
हमने 800 गज के मकान में करीब 500 गज में 300 से ज्यादा पौधे लगाए हैं। इनमें फलदार और छायादार पौधों में गुलमोहर, शहतूत, पिलखन, जामुन, चिकू, मोसमी, आंवला, संतरा, निबू, सफेद आक, अशोका, नीम, चंपा, आम, अनार के पौधे लगाए हैं। इनके फल भी आ रहे हैं। घर में तैयार पौधों के लगे फल खाने का अलग ही आनंद है। हमारे यहां पर मौसमी, संतरा, नींबू, शहतूत खूब लगते हैं। इनके अलावा महक बिखेरने वाले फूलों वाले पौधों के अलावा आयुर्वेदिक पौधों में दिनका राजा रात की रानी, गुड़हल, तुलसी, गुलाब, गेंदा, एरोकेरिया, मोतिया, छुई मुई, बिगोनिया, गिलोय, पत्थरचटा, बेलपत्र, मनीप्लांट आदि अनेक पौधे लगे हैं। राजेंद्र और सिलोचना दंपती कहते हैं कि कोरोना महामारी के इस दौर में तो प्राकृतिक आक्सीजन का खजाना हर घर में होना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है। इसलिए हर घर में लोगों को चाहिए कि अधिक से अधिक पौधे लगाएं।