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लक्ष्मी स्वरूपा होती हैं मां और बहन : कंवर महाराज

जागरण संवाददाता, भिवानी: राधा स्वामी दिनोद के परम संत हुजूर कंवर साहेब महाराज ने कहा कि

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jan 2018 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2018 03:00 AM (IST)
लक्ष्मी स्वरूपा होती हैं मां और बहन : कंवर महाराज
लक्ष्मी स्वरूपा होती हैं मां और बहन : कंवर महाराज

जागरण संवाददाता, भिवानी: राधा स्वामी दिनोद के परम संत हुजूर कंवर साहेब महाराज ने कहा कि मां बहन लक्ष्मी का रूप होती है। इसलिए जीव को समाज में मां-बहन का सम्मान करना चाहिए। जिस घर में मां बहन का सम्मान होगा वह हमेशा समाज में मान सम्मान पाएगा। वह समाज प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ेगा। जिस घर में मां बहन की इज्जत नहीं होगी वह कभी जीवन में सफल नहीं होगा। रविवार को दिनोद आश्रम में संगत के समक्ष प्रवचन करते हुए कंवर महाराज ने कहा कि अच्छा काम करने वाला इंसान समाज में भी अच्छे सामान का हकदार होता है। इंसान को चरित्रवान होना जरूरी है। कर्म अच्छा करो कर्म की पूजा करो इंसान जीवन में किसी का भी बुरा मत करें। मां बाप बहन की सेवा करो मां के बिना जीवन में कुछ भी नहीं है। घरों में मां बहन बाप की पूजा करो महाराज ने कहा कि नेक काम करने वालों की परमात्मा भी सुनता है। जीव को नेक काम करने के कार्य गरीबों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। महाराज ने कहा कि बेटी है तो सृष्टि है बेटियां दो दो घर को रोशन करती है इसलिए सबसे जरूरी है बेटियों को शिक्षा जिस समाज में बेटियां पढ़ी-लिखी होंगी वह समाज समाजिक बुराइयां और कुरीतियां से दूर रहेगा। प्रगति के मामले में भी आगे बढ़ेगा इसलिए हम सभी मिलकर कन्या भ्रूण हत्या नहीं करना और बेटियों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षक बनाने का संकल्प लें। कंवर महाराज ने कहा कि सत्संग में सतगुरु का वचन बहुमूल्य होता है। उनमें जीव के कल्याण की जीव के हित के लिए और जीव के संसारी जीवन को सुधार कर अच्छा बनकर और जब संसार की यात्रा पूरी करके जीवन आता है तो आगे भी उसको अच्छी जगह मिलती है और जो करनी करके जाता है उसके सदा के लिए जन्म मरण के लिए पीछा छूट जाता है। महाराज ने कहा कि अगर समय हम समय की कीमत को गंवा देते हैं तो वे अवसर हमें दोबारा नहीं मिलता। इंसान को परमात्मा में एक खूबी बख्शी है कि उसमें ज्ञान विवेक, बुद्धि, समझ चौरासी लाख के सब जीवों से ज्यादा दी है। दूसरे जितने भी जीव है उन सबमें इंसान की योनि प्रधान है। अपने कल्याण के लिए गुरू के घर का रास्ता इंसान के रूप में ही मिलता है। दूसरे किसी भी योनि में जीव जाता है तो उसकों गुरु नहीं मिलता। हर प्रकार के रस को पांच प्रकार की इंद्रियों से और पांच रसों को जिस तरह भी इसका मन चाहता है अच्छा होता है। उन्हीं पदार्थों को उन्हें रसों को ये भोगते हैं। गुरू अपने संदेश के माध्यम से कहते हैं कि ये इंद्रिय भोग है। महाराज ने समझाया कि मनुष्य छोटों से प्यार व बड़ों का सम्मान करना सीखे, एक दूसरे के सुख दुख के भी साझी बने। समाज में फैल रही नशा खोरी बुराइयों को मिटाने का संकल्प लें।


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