नंदीशाला में चारे का अभाव, ठंड से बचाव के इंतजाम भी नहीं
जागरण संवाददाता भिवानी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसका असर हालुवास गेट मुक्तिधाम में
जागरण संवाददाता, भिवानी: कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसका असर हालुवास गेट मुक्तिधाम में रह रहे नंदियों पर दिख रहा है। गोसेवकों की माने तो प्रतिदिन दो से तीन नंदी ठंड में अकाल का ग्रास बन रहे हैं। नंदीशाला का परिसर खुला है और यहां पशु कड़ाके की ठंड में खुले आसमान में रह रहे हैं। नंदियों को ठंड में ठिठुरते देख गोसेवकों ने खुद अपने स्तर पर ठंड से बचाव के लिए कुछ हद तक प्रबंध किए हैं। चारे का संकट अब भी बरकरार है। शहरी सरकार ध्यान दे रही है न ही प्रशासन। ऐसे में कैसे इनकी जान बचाई जा सकेगी। दो साल पहले बनाई गई थी नंदीशाला
गो सेवकों का कहना है करीब दो साल पहले यह नंदीशाला बनाई थी। शहर में बढ़ रहे बेसहारा नंदी यहां पर छोड़े जा रहे थे। यहां एक समय एक हजार से ज्यादा नंदी थे। अब यहां पर 600 के लगभग नंदी और गाय बाकी हैं। इनमें अनेक बीमारी, भूख और ठंड के चलते अकाल का ग्रास बन चुके हैं। नप और समाजसेवियों की पड़नी चाहिए नजर
नंदीशाला में प्रतिदिन 25 से 30 क्विटल चारे की जरूरत होती है। अब यहां पर मात्र एक दिन का ही चारा बचा है। शनिवार को नगरपरिषद सुध लेगी या कोई समाजसेवी आगे आए भगवान जाने। नंदियों की सेवा के लिए समाजसेवी आएं आगे
गोसेवक जोगेंद्र शर्मा, विकास कुमार, सुनील सैनी, रामप्रताप सैनी, रविद्र शर्मा और अतुल सोनी ने नागरिकों से अपील की है कि नंदियों और गोमाता की सेवा के लिए आगे आएं। नंदीशाला में चारे की व्यवस्था कराएं। यहां पर चारा नहीं है। नगरपरिषद ने भी अभी तक चारे की व्यवस्था नहीं कराई है। समाजसेवी आगे आएंगी तो इस कड़ाके की ठंड में नंदियों के लिए भोजन की व्यवस्था हो जाएगी और इनकी जान बच जाएगी। डॉक्टर ड्यूटी के साथ मानवता धर्म भी निभाएं
गोसेवकों ने बताया कि हालुवास गेट नंदीशाला में डाक्टर कभी कभार ही आते हैं। जब आते भी हैं तो वे उपचार करने के बजाय औपचारिकता निभा कर वापस चले जाते हैं। उन्होंने डाक्टरों से आग्रह किया कि डाक्टर ड्यूटी के साथ मानवता का धर्म भी निभाएं, जिससे कि समय रहते बीमार नंदियों को मौत का ग्रास बनने से बचाया जा सके। जिम्मेदारी तय होने पर ही मिलेंगे सार्थक परिणाम
डाक्टरों की बैठक बुलाई है। इसमें नंदीशाला के लिए भी डाक्टरों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। शनिवार तक इस बैठक के सार्थक परिणाम भी सामने आएंगे। लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नंदीशाला में नियमित रूप से डाक्टर पहुंचते हैं और बीमार पशुओं की जांच करते हैं। उनका उपचार करते हैं। समय पर यहां का दौरा डाक्टरों की टीम की ओर से स्पेशल भी किया जाता है। फिर भी कोई दिक्कत है तो यहां पर डाक्टरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
डा. जसवंत सिंह, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग।