जरूरतमंदों की मदद कर स्वावलंबी बना रही क्षमा
गांव मुंढ़ाल निवासी प्रवक्ता डा. क्षमा भारद्वाज पिछले काफी लंबे अर
राजेश कादियान, बवानीखेड़ा : गांव मुंढ़ाल निवासी प्रवक्ता डा. क्षमा भारद्वाज पिछले काफी लंबे अरसे से जरूरतमंद छात्र-छात्राओं की आर्थिक मदद के साथ-साथ उन्हें रोजगार के लिए भी तैयार करने में जुटी हुई हैं। इसके साथ-साथ वे सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए चलाई गई योजनाओं का भी घर-घर प्रचार कर जरूरतमंद लोगों को इस योजना के बारे में जागरूक करने में जुटी हुई हैं, ताकि इन योजनाओं का जरूरतमंद लोगों को लाभ मिल सकें और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफलता हासिल हो सकें। डा. क्षमा भारद्वाज इन दिनों गांव तिगड़ाना स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बतौर प्रवक्ता के पद पर कार्यरत है। स्कूल समय के बाद वे मजदूरों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं। साथ-साथ रोजगार के विभिन्न माध्यमों के बारे में भी जानकारी देती है, ताकि यहां के बच्चे स्वरोजगार पाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकें। इसके अलावा वे समय-समय पर अनाथालय में भी जाती है, वहां पर बच्चों को वे नि:शुल्क पुस्तकें, स्टेशनरी सहित अन्य पाठ्यसामग्री भी वितरित करती है। इसके साथ-साथ सर्दी के मौसम में नि:शुल्क गर्म वस्त्र भी भेंट करती है। जरूरतमंदों की शादी के लिए भी करती हैं आर्थिक मदद डा. क्षमा भारद्वाज जरूरतमंद युवतियों की शादी में आर्थिक मदद भी देती है। इसके अलावा वे महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित करती है। साथ-साथ उन्हे पें¨टग, सिलाई, कढ़ाई का काम के लिए भी प्रशिक्षण दिलवाती है। जरूरत होने पर वे महिलाओं को सरकारी योजनाओं के साथ-साथ अपने साम्र्थ्य अनुसार आर्थिक मदद भी देती है, ताकि महिलाएं स्वरोजगार की ओर बढ़ सके। यह मुहिम उन्होंने 1993 में शुरू की थी। इसका सिलसिला अब भी जारी है। अब तक वह हजारों छात्र-छात्राओं की आर्थिक मदद कर चुकी है। डा. क्षमा भारद्वाज ने बताया कि जब भी उनका जन्मदिन या सालगिरह होती है तो वे फिजूलखर्ची से बचकर जरूरतमंद बच्चों की सहायता के लिए झुग्गी झोपड़ियों में पहुंच जाती है और उन्हें मदद देती है, ताकि वे शिक्षा में आगे बढ़ सकें और रोजगार के लिए तैयार हो सकें। इसके अलावा वे समय-समय पर छात्राओं व जरूरतमंद लोगों को केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई अनेक योजनाओं के बारे में बताती है, ताकि इन योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रामीण स्वावलंबी बन सकें। वर्ष 1993 में मिली थी प्रेरणा : भारद्वाज
डा. क्षमा भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 1993 में वह किसी कार्य के लिए जा रही थी। रास्ते में उन्होंने देखा कि आर्थिक तौर पर कमजोर कुछ बच्चियां स्कूल की फीस न होने के चलते स्कूल की छुट्टी होने से पहले ही अपने घर लौट रही थी। बच्चियों के चेहरे पर निराशा झलक रही थी। जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके परिजन स्कूल की फीस देने में असमर्थ है। इसी के चलते शिक्षकों ने स्कूल की फीस लाने के लिए घर भेज दिया है। इसी दिन उन्होंने मन में ठाना कि आर्थिक तौर पर कमजोर हर जरूरत की साम्र्थ्य अनुसार आर्थिक मदद करेंगी, ताकि सभी आगे बढ़कर स्वावलंबी हो सकें।