सिर्फ एक चिप से ठप एजुसेट विद्यार्थियों के लिए बन सकता है स्मार्ट, जाने कैसे...
करोड़ों की लागत से स्कूलों में लगाए गए एजुसेट सिस्टम में 500-600 रुपये की लागत से कार्ड रीडर चिप में रुचिकर विषय वस्तु डालकर कक्षाओं को स्मार्ट क्लासिज बनाया जा सकता है।
भिवानी [सुरेश मेहरा]। विद्यार्थियों का लर्निग लेवल सुधारने और डिजिटल इंडिया से जोड़ने के लिए वर्ष 2007 में स्कूलों में 90 करोड़ रुपये की लागत से 9000 एजुसेट सिस्टम लगाए गए थे। सुविधाओं का टोटा ऐसा हुआ कि साल दर साल ये ठप होते चले गए। कई चोरी हो गए तो अनेक अब स्कूलों में धूल फांक रहे हैं। लेकिन थोड़ा समझ से काम लिया जाए तो ये ठप पड़े एजुसेट सिस्टम विद्यार्थियों के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं।
शिक्षाविदों एवं विशेषज्ञों की मानें तो करोड़ों की लागत से स्कूलों में लगाए गए एजुसेट सिस्टम में 500-600 रुपये की लागत से कार्ड रीडर चिप में रुचिकर विषय वस्तु डालकर कक्षाओं को स्मार्ट क्लासिज बनाया जा सकता है। यह मामूली सुधार विद्यार्थियों के लिए रामबाण साबित हो सकता है। हरियाणा प्राइमरी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के राज्य संगठन सचिव जंगबीर कासनिया और ओमकार यादव ने कहा कि शिक्षा विभाग की एजुसेट सिस्टम योजना बहुत ही बेहतर रही है। इसे थोड़े सुधार के साथ शुरू किया जाए तो विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
विद्यार्थियों को होगा यह फायदा
- करोड़ों की लागत से शुरू की गई एजुसेट योजना का लाभ बड़ी आसानी से उठाया जा सकता है।
- यूएसबी बॉक्स में कक्षा वाइज सिलेबस की चिप लगाकर योजना को पुन: चालू किया जा सकता है।
- मौलिक शिक्षा के अंतर्गत छोटे बच्चों को नैतिक शिक्षा, ज्ञानवर्धक पाठ्य सामग्री का समावेश विषय वस्तु को रुचिकर बनाने में सहायक हो सकता है।
- बिजली के अभाव में बंद हो चुकी बैटरी के लिए छोटी सोलर प्लेट विभाग द्वारा मुहैया करवाने पर बैटरी चार्ज करके टीवी का समुचित उपयोग हो सकता है।
- महापुरुषों और सामाजिक घटनाओं पर आधारित छोटे-छोटे नाटकों के प्रसारण से ज्ञानवर्धन आसानी से हो सकेगा।
- जीव जंतु और पशु पक्षियों के क्रियाकलाप से सम्बंधित पाठ्य वस्तु में उनके भोजन, दिनचर्या और उनकी उपयोगिता बारे जानकारी प्राप्त होगी।
- गणित की पाठ्य सामग्री में मूर्त और अमूर्त पाठ्य वस्तु का समावेश बच्चों में रुचि पैदा करने में सहायक हो सकता है।
- कविता आदि को लयबद्ध तरीके से बोलने पर बच्चे जल्दी याद कर लेते हैं इनकी ऑडियो क्लिप चिप में डालकर उपयोगी बनाया जा सकता।
- बिना डिश के सही सलामत टीवी का पूर्णत: सदुपयोग किया जा सकता है।
- बाल साहित्य से संबंधित कविता, कहानियां शुद्ध उच्चारण के साथ प्रस्तुतिकरण से बच्चों का भाषा उच्चारण भी शुद्ध होगा।
वर्तमान में ये हैं हालात
अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2012 में कैग रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि करीब 10000 एजुसेट सिस्टम में से 5779 एजुसेट आउट ऑफ आर्डर हो चुके थे। सिग्नल सिस्टम व तकनीकी खराबी के कारण करोड़ों रुपये के एजुसेट धूल फांक रहे हैं। कई जगह पर बिजली की सप्लाई के अभाव में चार्जिंग न होने के कारण डेड पड़ी बैटरी, यूपीएस या अन्य सम्बंधित सामग्री के कारण योजना ठंडे बस्ते में है। बहुत से स्कूलों में एजुसेट सिस्टम ही चोरी हो चुके हैं या कहीं कहीं बैटरी चोरी हो चुकी हैं। एजुसेट सिस्टम के अर्थिंग से लेकर डिश कनेक्शन को समय-समय पर निरीक्षण का अभाव भी बना रहा जिससे योजना निष्क्रिय हो गई।
सदुपयोग न होने से लग रहा करोड़ों का चूना
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शिक्षा विभाग ने वर्ष 2007 में इसे लागू किया था। प्रदेशभर के स्कूलों में 9000 एजुसेट सिस्टम 90 करोड़ रुपये की लागत से लगाए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हिसार में एजुसेट सिस्टम का 19 मई 2007 को उद्धघाटन किया था। एजुसेट योजना को व्यवस्थित चलाने के लिए सरकार ने एक सोसायटी का गठन किया था। इसका संचालन पंचकूला से एससीईआरटी के सहयोग से हुआ था, लेकिन अब सदुपयोग सही नहीं होने से करोड़ों का चूना लग रहा है।
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