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अलखपुरा में अंतरराष्ट्रीय फुटबालर एस्ट्रोटर्फ की देख रही बाट

राजेश कादियान बवानीखेड़ा गावं अलखपुरा निवासी अंतरराष्ट्रीय फुटबालर बेटियां पिछले ढाई

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 04:30 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:30 AM (IST)
अलखपुरा में अंतरराष्ट्रीय फुटबालर एस्ट्रोटर्फ की देख रही बाट
अलखपुरा में अंतरराष्ट्रीय फुटबालर एस्ट्रोटर्फ की देख रही बाट

राजेश कादियान, बवानीखेड़ा:

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गावं अलखपुरा निवासी अंतरराष्ट्रीय फुटबालर बेटियां पिछले ढाई वर्ष से एस्ट्रोटर्फ के मैदान के लिए बाट जोह रही हैं। ग्राम पंचायत ने ढाई वर्ष पहले यहां की बेटियों की सुविधा के लिए पांच एकड़ जमीन पर एस्ट्रोटर्फ मैदान का निर्माण के लिए खेल विभाग को जमीन सौंप दी थी। सरपंच व अन्य मौजिज व्यक्ति इस मैदान के निर्माण के लिए विधायक बिशंबर वाल्मीकि से लेकर केन्द्रीय खेल मंत्री को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी अभी तक इस खेल के मैदान के निर्माण के लिए विभाग की ओर से हरी झंडी नहीं मिल पाई है। यहां की बेटियां मिट्टी के सख्त मैदान पर ही अभ्यास करने को मजबूर हैं। ध्या रहे की गांव अलखपुरा में इन दिनों 150 बेटियां फुटबाल के मैदान पर रोजाना अभ्यास कर रही हैं। खास बात यह है कि ग्रामीण आंचल की होने के बावजूद भी यहां की बेटियों ने फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी है। प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की ऐसी कोई भी प्रतियोगिता नहीं है जिसमें यहां की बेटियां हिस्सा न लेती हों। यहां की बेटियों ने इस छोटे से गांव को अपनी प्रतिभा के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याती देने का कार्य किया है। इसके बावजूद भी खेल विभाग यहां की बेटियों के हितों की अनदेखी ही कर रहा है। बताया गया है कि इस वक्त राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल प्रतियोगिता एस्ट्रोटर्फ मैदान पर ही आयोजित की जाती हैं। लेकिन पंचायत विभाग द्वारा खेल विभाग को मैदान निर्माण के लिए जमीन सौंपे जाने के बाद भी यहां की बेटियों को अभी तक यह सुविधा नहीं मिल पाई है। बताया गया है कि मिट्टी का मैदान सख्त होता है जबकि एस्ट्रोटर्फ मैदान नरम होता है। जब भी यहां की बेटियों को राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा लेना पड़ता है तो एस्ट्रोटर्फ मैदान पर ही अपना दम-खम दिखाना पड़ता है। एस्ट्रोटर्फ पर खेलने का अनुभव न होने के चलते यहां की बेटियों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है। इस मैदान पर कई बार बेटियों के खेलते वक्त पैर भी फिसलने की आशंका बनी रहती है। अलखपुरा फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष सुरेश जाखड़, बलबीर जाखड़ बडसरा, मनदीप, मन्नू मिठारवाल, बलवान जाखड़, सोमदत्त, सतबीर बगडिय़ा, रणबीर फौजी, नरेश जाखड़, महेन्द्र यादव ने प्रदेश सरकार से शीघ्र ही यहां की खिलाडिय़ों के लिए एस्ट्रोटर्फ मैदान का निर्माण करवाने की मांग की है।

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गांव अलखपुरा में इन दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर की संतोष, अन्यबाई, समीक्षा जाखड़, संजू यादव सहित अन्य खिलाड़ी हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की काजल, वर्षा, रिकू, सीमा, ज्योति, शीतल, कामना, पूजा, निक्की, रजनी, मुस्कान, सोनिया, रिकू, सैलजा, ज्योति यादव, कलपी, संतोष लांबा, अंजली, पायल, नेहा, संजना, पुष्पा, नेनसी, प्रीति, प्रमिला, पूजा जाखड़ आदि शामिल हैं। ये बेटियां निरंतर हर खेल में अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाती आ रही है।

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कोच सोनिका बिजरानिया के मार्ग दर्शन में यहां के खेल के मैदान में रोजाना 150 बेटियां फुटबाल का अभ्यास कर रही हैं। फिलहाल कोरोना काल के चलते यहां की बेटियों का अभ्यास भी प्रभावित हो रहा है। कोच सोनिका बिजरानिया ने बेटियों की ज्यादा संख्या होने के चलते अलग-अलग से छह बैच बनाए हुए हैं। प्रत्येक बैच में 1 घंटा अभ्यास करवाया जा रहा है और एक बैच में केवल 15 बेटियों को खेल के मैदान पर अभ्यास के लिए बुलाया जा रहा है। जबकि नन्हे-मुन्हें खिलाडिय़ों को सुबह-सायं ही अभ्यास करवाया जा रहा है। सरपंच संजय चौहान ने बताया कि ढाई वर्ष पूर्व यहां की बेटियों के लिए एस्ट्रोटर्फ मैदान के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन खेल विभाग को सौंपी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि इस मैदान के निर्माण के लिए वे प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज, विधायक बिशंबर वाल्मीकि, खेल विभाग के निदेशक के साथ-साथ केन्द्रीय खेल मंत्री को पत्र लिखा जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। इससे बेटियों की प्रतिभा पिछड़ने की संभावना है।


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