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पहलवानों के लिए सुविधाएं बढ़ें तो जीतेंगे अंतरराष्ट्रीय पदक

भिवानी: पहलवानों को धरातल पर सुविधाएं नहीं मिलेंगी तो कैसे अंतरराष्ट्री

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 04:00 AM (IST)
पहलवानों के लिए सुविधाएं बढ़ें तो जीतेंगे अंतरराष्ट्रीय पदक
पहलवानों के लिए सुविधाएं बढ़ें तो जीतेंगे अंतरराष्ट्रीय पदक

जागरण संवाददाता, भिवानी:

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पहलवानों को धरातल पर सुविधाएं नहीं मिलेंगी तो कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक निकलेंगे। अपने स्तर पर मेहनत करके पहलवान देश के लिए पदक ला रहे हैं। सरकार की तरफ से वे सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जो मिलनी चाहिए। नर्सरियों में पहलवानों को मैट उपलब्ध कराए जाएं। गांव स्तर पर खिलाड़ियों को नकद इनाम राशि से सम्मानित किया जाए। उनको भोजन के अलावा खेल का सामान भी उपलब्ध कराए जाए। 97 किलो भार वर्ग ग्रीको रोमन कुश्ती में पहले भारतीय ओलंपियन पहलवान हरदीप ने दैनिक जागरण से फोन पर बात करने के दौरान यह कहा। हरदीप खैरड़ी मोड़ पर भिवानी के पहलवान रवि के भाई और बहन की शादी और इसके बाद अर्जुन अवार्डी मुक्केबाज कविता चहल के भाई र¨वद्र के गांव नीमड़ी में शादी समारोह में पहुंचे थे।

हरदीप ने कहा कि ओलंपिक 2016 में वे पदक से चूक गए थे, लेकिन वर्ष 2020 के ओलंपिक पर उनकी नजर है। इसके लिए जी तोड़ मेहनत की जा रही है। वह सोनीपत के साई खेल छात्रावास में अभ्यास कर रहे हैं। हर रोज चार घंटे पसीना बहाते हैं। नए पहलवानों के इस खेल के प्रति रुझान के सवाल पर ओलंपियन पहलवान बोले सरकार की तरफ से कुछ सुविधाएं मिल नहीं रहीं हैं। पिछले चार साल में तो खेल का सामान तक नहीं मिला है। इतना ही नहीं पहलवानों को नौकरियां तक नहीं दी जा रही हैं। ऐसे में खिलाड़ियों में मायूसी बनी है। 30 से सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में दिखाएंगे दांव-पेच

हरदीप ने बताया कि वह 97 किलो भार वर्ग ग्रीको रोमन कुश्ती में ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय हैं। भले ही वह 2016 के ओलंपिक में चूक गए लेकिन अगली बार वह कोई कमी नहीं रहने देंगे। फिलहाल 30 नवंबर से उत्तर प्रदेश में होने वाली सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेंगे। यह चैंपियनशिप 2 दिसंबर तक जारी रहेगी। नए खिलाड़ियों के बारे में उन्होंने दोहराया कि वह चाहते हैं कि सरकार पहलवानों के लिए गांव स्तर पर सुविधाएं बढ़ाए, ताकि गांव-गांव में पहलवानों की फौज तैयार हो। खेलों से युवा पीढ़ी ज्यादा जुड़ेगी तो हमारा समाज स्वस्थ और सबल होगा। पहलवानों को अधिक से अधिक रोजगार भी दिए जाएं। यह सब होगा तो युवाओं का खेलों के प्रति रुझान भी बढ़ेगा।


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