होम आइसोलेशन की सुविधा मरीजों के लिए बनी दुविधा
कोरोना के इस खतरे के बीच स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की सुविधा के लिए शुरू की गई होम आइसोलेशन की सुविधा विभाग व मरीज दोनों के लिए परेशानी बनती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों को तीन वर्गों में बांटा हुआ है।
जागरण संवाददाता, भिवानी: जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं दो लोगों की जान भी जा चुकी है। कोरोना के इस खतरे के बीच स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की सुविधा के लिए शुरू की गई होम आइसोलेशन की सुविधा विभाग व मरीज दोनों के लिए परेशानी बनती जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों को तीन वर्गों में बांटा हुआ है। ए वर्ग के मरीज की स्थिति ज्यादा खतरनाक नहीं होती है और वह घर पर भी रहकर समय पर दवाइयां ले और योग करता रहे तो आराम से ठीक हो सकता है। विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक ऐसे मरीजों को घर पर ही आइसोलेट कर दवाइयां मुहैया करवाई जानी है। इसी के तहत भिवानी में करीब 30 मरीजों को होम आइसोलेट कर दिया गया है।
मरीजों की बेहतरी के लिए दी गई यह सुविधा परेशानी का सबब बन गई है। आइसोलेट मरीजों की पीड़ा असहनीय है। उन्हें उनके ही जानकार व पड़ोसियों से अघोषित बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। एक तो बीमारी की वजह से परेशानी और ऊपर से अपनों की बेरुखी। उनकी शिकायत यह भी है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने घर में आइसोलेट तो कर दिया पर न तो समय पर उन्हें दवाइयां मिल पाती हैं और न ही जरूरी खाद्य सामग्री। अब वे खुद यदि बाहर निकलें तो लापरवाही का आरोप और पड़ोसियों का विरोध झेलना पड़ता है। गत दिवस शहर में इस तरह की घटना घटित भी हुई थी।
जनता रसोई के संयोजक संपूर्ण सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की होम आइसोलेशन करने की नीति से मरीजों को फायदा होने की बजाय नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि मरीज का न केवल अघोषित सामाजिक बहिष्कार हो रहा है, बल्कि उसके लिए जरूरी सामग्री का संकट खड़ा हो रहा। यहां तक की मरीज को पीने के पानी के लिए भी परेशान होना पड़ता है। प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि मरीज कोरोना से मरने से पहले न मर जाए। प्रशासन का दावा 1010 बेड उपलब्ध
जिला प्रशासन ने कोरोना मरीजों की सुविधा के लिए बनाए गए कोविड केयर सेंटरों में 1010 बेड होने का दावा किया है। कोरोना मरीजों को तीन वर्गों में बांटा हुआ है। कैटेगरी-ए
इस वर्ग में मरीज को कोई परेशानी नहीं है पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है। ऐसे मरीजों का घर में रहते हुए इलाज संभव है। केवल उन्हीं मरीजों को होम आइसोलेट किया जा रहा है। यदि वह घर रहना चाहें तो ठीक है नहीं तो कोविड केयर सेंटर में भेजा जाता है। ऐसे मरीज के लिए अलग रहने के लिए शौचालय व कमरा होना जरूरी है। कैटेगरी बी
इस कैटेगरी के मरीज को सांस की थोड़ी दिक्कत, बुखार व खांसी जुकाम हो तो उसे डेडिकेटेड हेल्थ केयर सेंटर में रखा जाता है। भिवानी में सिविल अस्पताल कोरोना डेडिकेटेड केयर सेंटर बनाया हुआ है, जिसमें 22 मरीज रखे हुए हैं। सी कैटेगरी
सांस लेने में आक्सीजन 90 से कम हो जाए। सांस लेने की गति 26 से कम हो जाए। ऐसे मरीज की हालत गंभीर मानी जाती है और उसे मेडिकल कालेज में भेजना होता। भिवानी के मरीजों के लिए अग्रोहा मेडिकल कालेज निर्धारित किया हुआ है। होम आइसोलेशन पर रखे जाने वाले कोरोना मरीजों की सुबह शाम चिकित्सक जांच करने जाते हैं। बीच में दिक्कत हो तो भी मरीज संपर्क कर सकता है। लेकिन बीच के लोग कुछ गड़बड़ी कर भ्रम फैला रहे हैं। वास्तव में इससे कई फायदे हैं। घर में इलाज करवाते समय मानसिक परेशानी नहीं। अस्पताल की तुलना में घर का वातावरण सही होता है। घर बैठे उपचार मिल रहा है। दवाई स्वास्थ्य विभाग दे रहा है। 7 से 17 दिन घर में आइसोलेट रहना पड़ता है । दस दिन स्वास्थ विभाग की निगरानी में और 7 दिन खुद ध्यान रखना चाहिए। मरीज के खाने के बर्तन अलग होंगे। केयर टेकर को सावधानी बताई जाती है। केयर टेकर मास्क व दस्ताने लगाए। सैनिटाइजर का इस्तेमाल करे।
- डा. रघुबीर शांडिल्य, सिविल अस्पताल भिवानी