सदा नाम सांई का हो सै, आज मरया कोए कल मरग्या..
फोटो 15 सीडीआर 27 जेपीजी में है। -हरियाणवीं सांग उत्सव किस्सा गोपीचंद सांग .. ज
फोटो : 15 सीडीआर 27 जेपीजी में है।
-हरियाणवीं सांग उत्सव : किस्सा गोपीचंद सांग: .. जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : गांव कमोद बस स्टाप के समीप चल रहे सांग उत्सव में शुक्रवार को गोपीचंद के सांग का भव्य मंचन किया गया। आमंत्रित सांगी धर्मबीर भगाना एंड पार्टी के कलाकारों प्रस्तुतियां दी। सांग कार्यक्रम में समाजसेवी प्रदीप आदमपुर डाढ़ी ने 11 हजार, प्रदीप खातीवास ने 51 सौ रुपये गोवंश संरक्षण के लिए दिए। गोशाला समिति प्रधान रविद्र सिंह, संस्थापक मंजीत दलाल, सरपंच मदन परमार सांवड़, पप्पू चरखी, ओमप्रकाश नंबरदार चरखी, कुलदीप फौगाट, रामेश्वरदयाल रंगा, खुदीराम दलाल, ललित जांगड़ा, डा. अजय श्योराण ने स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। गो चिकित्सालय में भंडारा लगाया गया और गो पूजन भी किया गया।
इस मौके पर दिनेश शर्मा रावलधी, गजनूप कमोद, हनुमान, सोमबीर फतेहगढ़, डा. सुखविद्र फौगाट, भीम पंडित, हुकमचंद, ईश्वर सांवड़ भी उपस्थित रहे।
गोपीचंद ने लिया जोग
सांग वृतांत के अनुसार धारा नगरी के राजा पदम सैन के लड़के गोपीचंद की शादी हो जाती है। पदम सैन की मौत हो जाती है। गोपीचंद की 16 रानी और 12 कन्याएं थी। एक रोज गोपीचंद जब अस्नान कर रहा था तो उसकी मां मैनावंती की नजर पड़ी। उसने सोचा की मैं गोपीचंद को अमर कराऊंगी। वह कहती है कि बेटा तूझे अमर होना है इसलिए जोग ले ले। गोपीचंद कहता है मां अमर कोई नहीं है एक दिन सबको मरना है। यहां गोपीचंद कहता है- सदा नाम सांई का हो सै आज मरया कोए कल मरग्या। लेकिन उसकी मां नहीं मानती। उन्हीं दिनों भ्रतृहरी गुरु गोरखनाथ के साथ नगरी के पास धूणा लगा लेते हैं। भ्रतृहरि जब गुरु के आदेश से भिक्षा लेने जाते हैं तो मैनावंती अपने भाई को पहचान लेती है और गोपीचंद को भी जोग दिलाने की बात कहती है। गोपीचंद के काफी मना करने के बाद भी वह जोग दिलवा देती है। लेकिन बाद में उसे पुत्र मोह सताने लगता है। महलों में रानियां रुद्धन करती हैं और कन्याएं अपने पिता के बारे में बार-बार पूछती है तो वह मजबूरन गोपीचंद को वापस लेने के लिए संतों के धूणे पर जाती है। उस समय गोपीचंद अपनी मां को कहता है-क्यू लोग दिखावा रोवै सै, खुद जोग दिवावण आली री। पूरे किस्से की रागनियां सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।