डाक्टर बनने हरियाणा के बच्चे जा रहे विदेश
संवाद सहयोगी लोहारू डाक्टर बनने के सपने लेकर हरियाणा के लाखों बच्चे विदेशों का रुख क
संवाद सहयोगी, लोहारू: डाक्टर बनने के सपने लेकर हरियाणा के लाखों बच्चे विदेशों का रुख कर रहे हैं। यहां सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें एक हजार का आंकड़ा पार नहीं कर रही। दो निजी विश्वविद्यालयों समेत तीन-चार प्राइवेट कॉलेज हैं, जिनकी सालाना फीस 15 से 20 लाख है। इससे विद्यार्थी खासे परेशान हैं।
मेडिकल शिक्षा से जुड़े लोगों ने बताया कि 1966 में प्रदेश बनने के बाद सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें एक हजार नहीं पहुंची। इनमें भी आधी सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं। सामान्य श्रेणी के लिए तो महज 500 सीटें ही रह गई। भविष्य के लिए यूपी, उत्तराखंड, कर्नाटक सरीखे प्रदेश ही बचते हैं जहां पर सालाना 7-8 लाख रुपये की फीस में काउंसलिग से एमबीबीएस में एडमिशन हो जाते हैं। या फिर रूस जैसे विदेशों की ओर 4-5 लाख रुपये सालाना फीस में विद्यार्थियों को भेजा जाता है।
सरकारी कॉलेजों में महंगी शिक्षा का फंड जुटाने के लिए सरकार ने आधी सीटें पेड घोषित कर दी, जो 6 से 7 लाख सालाना फीस से मेडिकल शिक्षा अर्जित करने का मौका देती है। ऐसा ही हरियाणा में हो सकता है।